Masik Shivratri 2023: मासिक शिवरात्रि पर दुर्लभ 'ब्रह्म' योग समेत बन रहे हैं ये 3 संयोग, प्राप्त होगा अक्षय फल
Masik Shivratri 2023 अश्विन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि 12 अक्टूबर को शाम में 07 बजकर 53 मिनट पर शुरू होगी और अगले दिन 13 अक्टूबर को रात में 09 बजकर 50 मिनट पर समाप्त होगी। मासिक शिवरात्रि पर निशा काल में महादेव और माता पार्वती की पूजा की जाती है। अतः 12 अक्टूबर को ही मासिक शिवरात्रि मनाई जाएगी।
By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Mon, 09 Oct 2023 03:56 PM (IST)
धर्म डेस्क, नई दिल्ली | Masik Shivratri 2023: हर महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मासिक शिवरात्रि मनाई जाती है। तदनुसार, आश्विन माह में मासिक शिवरात्रि 12 अक्टूबर को है। सनातन शास्त्रों में वर्णित है कि शिवरात्रि तिथि पर देवों के देव महादेव और जगत जननी आदिशक्ति मां पार्वती परिणय सूत्र में बंधे थे। अतः शिवरात्रि तिथि का विशेष महत्व है। मासिक शिवरात्रि के दिन देवों के देव महादेव और माता पार्वती की विशेष पूजा की जाती है। साथ ही उनके निमित्त व्रत-उपवास रखा जाता है। इस व्रत के पुण्य प्रताप से विवाहित स्त्रियों को सुख और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। वहीं, अविवाहितों युवतियों की शीघ्र शादी हो जाती है। ज्योतिषियों की मानें तो मासिक शिवरात्रि पर दुर्लभ ब्रह्म योग समेत कई शुभ योग का निर्माण हो रहा है। इन योग में महादेव की पूजा करने से साधक को कई गुना फल प्राप्त होगा। आइए जानते हैं-
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शुभ मुहूर्त
अश्विन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि 12 अक्टूबर को शाम में 07 बजकर 53 मिनट पर शुरू होगी और अगले दिन 13 अक्टूबर को रात में 09 बजकर 50 मिनट पर समाप्त होगी। मासिक शिवरात्रि पर निशा काल में महादेव और माता पार्वती की पूजा की जाती है। अतः 12 अक्टूबर को ही मासिक शिवरात्रि मनाई जाएगी।
ब्रह्म योग
मासिक शिवरात्रि पर दुर्लभ ब्रह्म योग का निर्माण हो रहा है। इस योग का निर्माण 13 अक्टूबर को सुबह 10 बजे तक है। इस योग में शिव जी की पूजा करने से अक्षय फल की प्राप्ति होती है। साथ ही शिव जी की कृपा साधक पर बरसती है।शुक्ल योग
मासिक शिवरात्रि पर शुक्ल योग का भी निर्माण हो रहा है। इस योग का निर्माण सुबह 09 बजकर 30 मिनट तक है। ज्योतिष शुभ कार्यों के लिए शुक्ल योग को शुभ मानते हैं। इस योग में महादेव की पूजा करने से साधक को कई गुना फल प्राप्त होता है।
करण
आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को सुबह 06 बजकर 47 मिनट तक गर करण का निर्माण हो रहा है। इसके पश्चात, वणिज करण शाम तक है। गर और वणिज करण शुभ कार्यों के लिए श्रेष्ठ माना जाता है।सूर्योदय और सूर्यास्त का समय
सूर्योदय - सुबह 06 बजकर 20 मिनट परसूर्यास्त - शाम 17 बजकर 55 मिनट पर