Move to Jagran APP

Chanakya Niti: ये 5 लोग जीवन भर रहते हैं दुखी और निराश, कभी नहीं कर पाते हैं तरक्की

Chanakya Niti विरहा यानी वियोग से व्यक्ति के जीवन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। भक्ति काल के समय में गोस्वामी तुलसीदास भी भार्या प्रेम की वजह से एक बार अपनी धर्म पत्नी से मिलने देर रात गंगा नदी पारकर अपने ससुराल बदरिया जा पहुंचे थे। आधी रात को तुलसीदास को मायके में देख उनकी धर्म पत्नी ने उन्हें बहुत कोसा था।

By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarPublished: Tue, 29 Aug 2023 12:25 PM (IST)Updated: Tue, 29 Aug 2023 12:25 PM (IST)
Chanakya Niti: ये 5 लोग जीवन भर रहते हैं दुखी और निराश, कभी नहीं कर पाते हैं तरक्की

नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क | Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य अपनी नीतियों के लिए दुनियाभर में प्रसिद्ध हैं। उनकी नीतियां आज भी प्रासंगिक है। उनकी प्रमुख रचना नीति शास्त्र है। इसमें उन्होंने सफलता पाने के महत्वपूर्ण सूत्र बताए हैं। साथ ही उन्होंने दुखी और सुखी रहने वाले लोगों की भी जानकारी दी है। आचार्य चाणक्य की मानें तो पांच प्रकार के लोग जीवन भर दुखी और निराश रहते हैं। ऐसे लोग अपने जीवन में कभी तरक्की नहीं कर पाते हैं। आइए, इन 5 लोगों के बारे में जानते हैं-

वियोग

विरहा यानी वियोग से व्यक्ति के जीवन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। भक्ति काल के समय में गोस्वामी तुलसीदास भी भार्या प्रेम की वजह से एक बार अपनी धर्म पत्नी से मिलने देर रात गंगा नदी पारकर ससुराल जा पहुंचे थे। आधी रात को तुलसीदास को मायके में देख उनकी धर्म पत्नी ने उन्हें बहुत कोसा था। इससे तुलसीदास के वैचारिक सोच पर प्रतिकूल असर पड़ा। मान-समान को ठेस पहुंचने के चलते गोस्वामी तुलसीदास ने सन्यास अपना लिया। अतः पत्नी का वियोग व्यक्ति को हमेशा दुख पहुंचाता है। आचार्य चाणक्य कहते हैं कि पत्नी के वियोग के चलते व्यक्ति जीवन भर दुखी और निराश रहता है।

अपमान

आचार्य चाणक्य की मानें तो अपने भाई अथवा बहन से अपमानित होने वाला व्यक्ति जीवन भर दुखी रहता है। यह दुख असहनीय होता है। इसे झेलना सबके लिए आसान नहीं होता है। कई लोग सदमे में चले जाते हैं। उनके मान-सम्मान को गहरा आघात पहुंचता है। ऐसे लोग भी जीवन भर दुखी और निराश रहते हैं।

कर्ज

आचार्य चाणक्य अपनी रचना नीति शास्त्र में कहते हैं कि शत्रु, कर्ज और रोग को शेष नहीं रहने देना चाहिए। ये कष्टकारक होते हैं। कर्ज में दबा व्यक्ति जीवन भर दुखी रहता है। इसके लिए कर्ज को शेष न रखें। साथ ही लाइफस्टाइल को सामान्य तरह से जीने की कोशिश करें। इससे आर्थिक स्थिति बदतर नहीं होगी।

सेवा

आचार्य चाणक्य कहते हैं कि दुष्ट राजा की सेवा करने वाला नौकर अपने जीवन में कभी सुखी नहीं रह सकता है और न ही तरक्की और उन्नति कर पाता है। अतः एकला चलो की नीति अपनानी चाहिए। इसमें विकास की रफ्तार धीमी हो सकती है, लेकिन जीवन पर्यन्त दुखी नहीं रहना पड़ता है।

गरीबी

गरीबी एक ऐसा अभिशाप है। इससे पीड़ित व्यक्ति जीवन में कभी सुखी नहीं रह पाता है। इस बारे में आचार्य चाणक्य का कहना है कि अगर कोई व्यक्ति गरीब है, तो उसे जीवन में ढेर सारी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। ऐसी परिस्थिति में व्यक्ति हर समय दुखी और निराश रहता है।

डिसक्लेमर-'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी। '


This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.