Swami Vivekananda Quotes: जीवन जीने की नई राह दिखाते हैं विवेकानंद जी के ये 10 अनमोल विचार
विवेकानंद जी को बचपन में नरेंद्र कहकर पुकारा जाता था। उनके पिता का नाम विश्वनाथ दत्त और माता जी का नाम भुवनेश्वरी देवी था। स्वामी विवेकानंद जी बाल्यावस्था से ही बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। उनकी माता देवों के देव महादेव की भक्त थीं। स्वामी विवेकानंद जी पर भी इसका व्यापक असर पड़ा। मां की भांति नरेंद्र भी प्रतिदिन देवी-देवताओं की पूजा करते थे।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Swami Vivekananda Quotes: हर वर्ष 12 जनवरी को राष्ट्रीय युवा दिवस मनाया जाता है। इस दिन विवेकानंद जयंती मनाई जाती है। इतिहासकारों की मानें तो स्वामी विवेकानंद जी का जन्म 12 जनवरी, सन 1863 को कोलकाता में हुआ था। विवेकानंद जी को बचपन में नरेंद्र कहकर पुकारा जाता था। उनके पिता का नाम विश्वनाथ दत्त और माता जी का नाम भुवनेश्वरी देवी था। स्वामी विवेकानंद जी बाल्यावस्था से ही बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। उनकी माता देवों के देव महादेव की भक्त थीं। स्वामी विवेकानंद जी पर भी इसका व्यापक असर पड़ा। मां की भांति नरेंद्र भी प्रतिदिन देवी-देवताओं की पूजा करते थे। राम कृष्ण परमहंस महाराज जी से मिलने के पश्चात स्वामी विवेकानंद जी मां काली की पूजा-उपासना करने लगे। तत्कालीन समय में मां काली की कृपा से स्वामी विवेकानंद जी महान आध्यात्मिक गुरु बने। उनके विचार आज भी प्रासंगिक हैं। अगर आप भी अपने जीवन में सफल इंसान बनना चाहते हैं, तो स्वामी विवेकानंद जी के इन विचारों का जरूर अनुसरण करें।
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स्वामी विवेकानंद जी के विचार
- दिन में कम से कम एक बार खुद से बात जरूर करें, वरना आप दुनिया के बेहतरीन इंसान से नहीं मिल पाएंगे।
- संभव की सीमा जानने का एक ही तरीका है, असंभव से भी आगे निकलना है।
- जीवन में संबंध होना बहुत जरूरी है। पर उससे भी जरूरी है उन संबंधों में जीवन होना।
- पुस्तकालय महान व्यायामशाला की तरह है, जहां हम अपने मन को मजबूत बनाने के लिए जाते हैं।
- जब मनुष्य इन्द्रियों के वश में होता है, तो वह संसार का होता है। जब इन्द्रियों को वश में कर लेता है, तो संसार उसका होता है।
- शक्ति ही जीवन है, दुर्बलता मृत्यु है। विस्तार ही जीवन है, संकुचन मृत्यु है। प्रेम जीवन है और घृणा मृत्यु है।
- तुम अपनी मंजिल को रातों-रात नहीं बदल सकते, परंतु दिशा को रातों-रात जरूर बदल सकते हैं।
- पढ़ने के लिए जरूरी है एकाग्रता। एकाग्रता के लिए जरूरी है ध्यान। ध्यान से ही हम इन्द्रियों पर संयम रखकर एकाग्रता प्राप्त कर सकते हैं।
- कोई व्यक्ति कितना ही महान क्यों न हो, आंखें मूंदकर उसके पीछे न चलिए। यदि ईश्वर की ऐसी ही मंशा होती तो वह हर प्राणी को आंख, नाक, कान, मुंह, मस्तिष्क आदि क्यों देता…?
- जितना हम दूसरों के साथ अच्छा करते हैं उतना ही हमारा हृदय पवित्र होता जाता है और भगवान हम में बसते हैं।
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