Mangla Gauri vrat से मिलेगा मनचाहा वर, नोट करें तीसरे मंगला गौरी व्रत का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
सावन के सभी मंगलवार मां पार्वती को समर्पित हैं। सावन के मंगलवार पर मंगला गौरी व्रत किया जाता है। मां मंगला गौरी माता पार्वती का ही रूप हैं। इन्हें मां दुर्गा के आठवें स्वरूप मां महागौरी के नाम से भी जाना जाता है। इस व्रत (Mangla Gauri vrat 2024) को सुहागिन स्त्रियों द्वारा किया जाता है। चलिए जानते हैं कि मंगला गौरी व्रत से जुड़ी जानकारी।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Third Mangla Gauri vrat 2024: सावन के मंगलवार को मंगला गौरी व्रत किया जाता है। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा-अर्चना की जाती है। साथ ही मनचाहे वर पाने के लिए व्रत भी किया जाता है। पंचांग के अनुसार, तीसरा मंगला गौरी का व्रत 06 अगस्त (Third Mangla Gauri vrat 2024 Date) को किया जाएगा। माना जाता है कि इस दिन विधिपूर्वक उपासना करने से सुहागिन महिलाओं को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है। साथ ही जीवन सदैव खुशियों से भरा रहता है। चलिए इस लेख में जानते हैं कि तीसरे मंगला गौरी व्रत का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में।
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तीसरे मंगला गौरी व्रत 2024 और शुभ मुहूर्त (Third Mangla Gauri Vrat 2024 Date Shubh Muhurat)
तीसरा मंगला गौरी व्रत शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि यानी 06 अगस्त को किया जाएगा। पंचांग के अनुसार, शुक्ल पक्ष की द्वितीया पर ब्रह्म मुहूर्त 04 बजकर 21 मिनट से लेकर 05 बजकर 03 मिनट तक रहेगा। वहीं, अभिजित मुहूर्त दोपहर 12 बजे से लेकर से 12 बजकर 53 मिनट तक रहेगा।
मंगला गौरी व्रत पूजा विधि (Mangla Gauri Vrat Puja Vidhi)
सावन में मंगला गौरी व्रत किया जाता है। इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें। इसके बाद स्नान कर सूर्य देव को जल अर्पित करें। मंदिर की सफाई कर चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर शिव जी और माता पार्वती की प्रतिमा को विराजमान करें। अभिषेक कर अक्षत, कुमकुम, फूल, फल समेत आदि चीजें अर्पित करें और माता पार्वती को सोलह श्रृंगार की चीजें चढ़ाएं। दीपक जलाकर आरती करें और पति की दीर्घायु के लिए प्रार्थना करें। व्रत कथा का पाठ कर भोग लगाएं और लोगों में प्रसाद का वितरण करें। इस दिन श्रद्धा अनुसार का दान करना भी फलदायी होता है।मंगला गौरी व्रत मंत्र (Mangla Gauri Vrat Mantra)
स्वयंवर पार्वती मंत्र
ॐ ह्रीं योगिनी योगिनी योगेश्वरी योग भयंकरी सकल स्थावर जंगमस्य मुख हृदयं मम वशं आकर्षय आकर्षय नमः॥