Tirupati Balaji Temple: बेहद खास है तिरुपति बालाजी मंदिर का प्रसाद, 200 साल पुरानी है परंपरा
भारत में कई ऐसे चमत्कारी मंदिर हैं जो दुनिया भर में मशहूर हैं। इन्हीं धाम में से एक दक्षिण भारत का तिरुपति बालाजी मंदिर (Tirupati Balaji Temple) है जो आंध्र प्रदेश केचित्तूर जिले में तिरुमला पर्वत पर स्थित है। यह दिव्य मंदिर तिरुपति बालाजी को समर्पित है। ऐसा माना जाता है कि यहां दर्शन मात्र से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। साथ ही जीवन में शुभता आती है।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। इन दिनों भारत के प्रमुख मंदिरों में से एक तिरुपति बालाजी धाम सुर्खियों में है, जो आंध्र प्रदेश राज्य में तिरुपति जिले के पहाड़ी शहर तिरुमाला में स्तिथ है। यहां हर रोज भक्तों की भारी भीड़ लगती है। यह चमत्कारी धाम भगवान विष्णु के स्वरूप वेंकटेश्वर जी को समर्पित है। ऐसा कहा जाता है कि इस धाम में भक्तों की सभी अधूरी इच्छाओं की पूर्ति होती है। साथ ही सारी बाधाएं दूर होती हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस मंदिर (Tirupati Balaji Temple) में विराजमान भगवान वेंकटेश्वर की प्रतिमा को अलौकिक और जीवंत माना जाता है,
जो समय-समय पर भक्तों को चमत्कार के रूप में देखने को मिल जाता है, तो चलिए यहां से जुड़ी प्रमुख बातों को जानते हैं, जो इस प्रकार हैं।
तिरुपति बालाजी मंदिर का खास प्रसाद (Tirupati Balaji Mandir Prasad)
तिरुपति बालाजी मंदिर में प्रसाद (Tirupati Balaji Prasad) के रूप में एक दिव्य लड्डू भक्तों को प्रदान किया जाता है, जो मंदिर की पवित्र रसोई में बनाया जाता है। इसे 'पोटू' कहा जाता है। इस प्रसाद के बिना बालाजी के दर्शन अधूरे माने जाते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस दिव्य प्रसाद की परंपरा 200 साल पुरानी है। ये खास लड्डू मंदिर में ही तैयार किए जाते हैं, जिसे बनाने का अधिकार सिर्फ मंदिर को ही प्राप्त है।
ऐसा कहा जाता है कि यहां प्रतिदिन लगभग 8 लाख से भी अधिक लड्डू तैयार किए जाते हैं, जो कभी भी भक्तों के लिए कम नहीं पड़ते हैं। यही छोटी-छोटी चीजें भक्तों की आस्ठा का अटूट प्रतीक मानी जाती हैं।
तिरुपति बालाजी मंदिर से जुड़े रहस्य (Tirupati Balaji Mandir Facts)
ऐसा कहा जाता है कि भगवान बालाजी के बाल असली हैं, क्योंकि उनके बाल सदैव दोषरहित रहते हैं। साथ ही भगवान वेंकटेश्वर की प्रतिमा की के पीछे समुद्र की लहरों की आवाजें भी सुनी जा सकती हैं, जिसके पीछे का रहस्य किसी को नहीं पता है। वहीं, इस धाम में एक ऐसा दीपक है, जो सदैव प्रज्वलित रहता है, लेकिन यह दीपक कब जलाया गया और किसने जलाया? इसके बारे में कोई विश्वसनीय रिकॉर्ड नहीं है।
बस वहां के पुरोहितों का कहना है कि यह दीपक बहुत पहले से ही प्रज्वलित हैं और सदैव जलता रहेगा। इसके साथ ही मंदिर में बाल अर्पित करने की भी परंपरा है, जब भक्तों की कोई विशेष इच्छा पूरी हो जाती है, तो वे अपने बालों का दान करते हैं।यह भी पढ़ें: Shardiya Navratri 2024: कलश स्थापना से पहले घर से बाहर कर दें ये चीजें, होगा माता रानी का आगमन
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