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Mauni Amavasya 2023: आज है मौनी अमावस्या, जानें-व्रत कथा और धार्मिक महत्व

Mauni Amavasya 2023 धार्मिक मान्यता है कि मौनी अमावस्या के दिन दान करने से व्यक्ति के जीवन में व्याप्त काल कष्ट दुःख और संकट दूर हो जाते हैं। साथ ही व्यक्ति को अमोघ फल की प्राप्ति होती है।

By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Sat, 21 Jan 2023 01:50 PM (IST)
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Mauni Amavasya 2023: आज है मौनी अमावस्या, जानें-व्रत कथा और धार्मिक महत्व

नई दिल्ली, Mauni Amavasya 2023: हिंदी पंचांग के अनुसार, हर महीने में कृष्ण पक्ष के अंतिम तिथि को अमावस्या पड़ती है। शनिवार के दिन पड़ने वाली अमावस्या को शनिश्चरी अमावस्या कहा जाता है। इस प्रकार आज माघी अमावस्या है। इसे मौनी अमावस्या भी कहा जाता है। सनातन धर्म में अमावस्या तिथि का विशेष महत्व है। धार्मिक मान्यता है कि मौनी अमावस्या के दिन दान करने से व्यक्ति के जीवन में व्याप्त काल, कष्ट, दुःख और संकट दूर हो जाते हैं। साथ ही व्यक्ति को अमोघ फल की प्राप्ति होती है। इसके लिए माघ अमावस्या के दिन बड़ी संख्या में श्रद्धालु पवित्र नदियों में स्नान-ध्यान कर श्रद्धा भाव से भगवान श्रीहरि विष्णु की पूजा उपासना करते हैं। साथ ही ब्राह्मणों और जरूरतमंदों को दान देते हैं। आइए, मौनी अमावस्या की व्रत कथा और धार्मिक महत्व जानते हैं-

मौनी अमावस्या का महत्व

सनातन धर्म शास्त्रों में निहित है कि अमावस्या तिथि भगवान विष्णु को प्रिय है। इस दिन मौन व्रत धारण करने का भी विधान है। अमावस्या और पूर्णिमा के दिन अन्न दान करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस दिन पवित्र नदियों और सरोवर में स्नान-ध्यान करने से समस्त पाप नष्ट होते हैं। इसके लिए लोग पवित्र नदियों और सरोवरों में श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगाते हैं। इसके बाद पूजा, जप, तप, और दान करते हैं। मौनी अमावस्या के दिन प्रवाहित जलधारा में तिलांजलि करना पुण्यकारी होता है।

व्रत कथा

चिरकाल में कांचीपुरी नामक नगर में एक ब्राह्मण परिवार रहता था। ब्राह्मण का नाम देवस्वामी था। उनकी 8 संताने थी। इनमें 7 पुत्र और 1 पुत्री थी। सभी पुत्रों की शादी हो गई, लेकिन पुत्री की शादी वैधव्य दोष की वजह से नहीं हो रही थी। उस समय देव स्वामी ने वैधव्य दोष को दूर करने के लिए अपने पुत्र और पुत्री को सोमा धोबिन के घर भेजा। पंडितों का कहना था कि अगर सोमा धोबिन विवाह में उपस्थित रहती है, तो वैधव्य दोष समाप्त हो जाएगा।

दोनों( पुत्र और पुत्री) गुणवती सागर तट पर रहने वाली गिद्ध माता की मदद से सोमा धोबिन के घर पहुंची। दोनों बिना बताए सोमा धोबिन की मदद करने लगे। गुणवती रोजाना सोमा धोबिन का चौका लीप आती थी। वहीं, पुत्र घर के अन्य कार्य में उनके पुत्रों की मदद करता था। एक रात्रि सोमा धोबिन ने गुणवती को ऐसा करते देख लिया। तब सोमा ने मदद करने का कारण जानना चाहा।

उस समय गुणवती ने वैधव्य दोष के बारे में सब कुछ बताया। तब सोमा धोबिन, गुणवती और उसके भाई के साथ कांचीपुरी नगर आई। इसके पश्चात धूमधाम से गुणवती की शादी हुई। पंडितों की भविष्यवाणी के अनुसार, विवाह के दौरान गुणवती के पति की मृत्यु हो गई। तब सोमा धोबिन के पुण्य प्रताप से गुणवती के पति जीवित हो उठे, लेकिन सोमा के पति, पुत्र और दामाद की मृत्यु हो गई। अपने गृह लौटने के क्रम में सोमा ने सागर तट पर पीपल के पेड़ के नीचे भगवान विष्णु की पूजा की। साथ ही 108 बार परिक्रमा की। इससे सोमा के पति, पुत्र और दामाद भी जीवित हो उठे। अतः मौनी अमावस्या का विशेष महत्व है।  

डिसक्लेमर- इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।