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Tulsi Puja: तुलसी पूजा में करें इन मंत्रों का जप, माता लक्ष्मी की कृपा से भरे रहेंगे आपके धन भंडार

हिंदू धर्म में तुलसी के पौधे को मां लक्ष्मी से जोड़कर देखा जाता है। ऐसा माना जाता है कि रोजाना तुलसी की पूजा-अर्चना से घर में सुख- समृद्धि का वास बना रहता है। ऐसे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि आप किस प्रकार माता तुलसी को प्रसन्न कर सकते हैं जिससे आपको जीवन में सकारात्मक परिणाम देखने को मिल सकते हैं।

By Suman Saini Edited By: Suman Saini Updated: Tue, 08 Oct 2024 12:25 PM (IST)
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Tulsi Puja mantra तुलसी पूजा में करें इन मंत्रों का जप (Picture Credit: Freepik)

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हिंदू धर्म में घर में तुलसी का पौधा लगाना और सुबह-शाम उसकी पूजा करना बहुत ही शुभ माना गया है। ऐसा करने से मां लक्ष्मी की कृपा साधक पर बनी रहती है, जिससे घर में बरकत आती है। ऐसे में आप तुलसी माता की पूजा में इन मंत्रों का जप कर सकते हैं, जिससे आपको माता तुलसी के साथ-साथ भगवान विष्णु की भी कृपा प्राप्त हो सकती है।

तुलसी जी के मंत्र -

महाप्रसाद जननी सर्व सौभाग्यवर्धिनी, आधि व्याधि हरा नित्यं तुलसी त्वं नमोस्तुते।।

तुलसी गायत्री -

ॐ तुलसीदेव्यै च विद्महे, विष्णुप्रियायै च धीमहि, तन्नो वृन्दा प्रचोदयात् ।।

तुलसी स्तुति मंत्र -

देवी त्वं निर्मिता पूर्वमर्चितासि मुनीश्वरैः

नमो नमस्ते तुलसी पापं हर हरिप्रिये।।

तुलसी श्रीर्महालक्ष्मीर्विद्याविद्या यशस्विनी।

धर्म्या धर्मानना देवी देवीदेवमन: प्रिया।।

लभते सुतरां भक्तिमन्ते विष्णुपदं लभेत्।

तुलसी भूर्महालक्ष्मी: पद्मिनी श्रीर्हरप्रिया।।

तुलसी नामाष्टक मंत्र -

वृंदा वृंदावनी विश्वपूजिता विश्वपावनी।

पुष्पसारा नंदनीय तुलसी कृष्ण जीवनी।।

एतभामांष्टक चैव स्त्रोतं नामर्थं संयुतम।

य: पठेत तां च सम्पूज्य सौश्रमेघ फलंलमेता।।

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वृंदा देवी-अष्टक मंत्र

गाङ्गेयचाम्पेयतडिद्विनिन्दिरोचिःप्रवाहस्नपितात्मवृन्दे ।

बन्धूकबन्धुद्युतिदिव्यवासोवृन्दे नुमस्ते चरणारविन्दम् ॥

इन नियमों का रखें ध्यान

हमेशा स्नान के बाद ही तुलसी को स्पर्श और उनकी पूजा करनी चाहिए। साथ ही पूजा के दौरान तुलसी जी के मंत्रों का जप करें। इसी के साथ इस बात का भी ध्यान रखें कि रविवार और एकादशी तिथि पर न तो तुलसी के पत्ते तोड़ने चाहिए और न ही तुलसी में जल देना चाहिए। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इन दोनों ही दिनों पर तुलसी जी भगवान विष्णु के निमित्त व्रत करती हैं और पूजा करने या जल देने से उनके व्रत में बाधा पहुच सकती है। जातक को इसके अशुभ परिणाम भी प्राप्त हो सकते हैं। 

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।