Tulsi Vivah 2024: तुलसी विवाह की डेट को लेकर न हो कन्फ्यूज, एक क्लिक में जानें इस पर्व की सही डेट
हिंदू धर्म में तुलसी विवाह का पर्व बेहद शुभ माना जाता है। यह हर साल कार्तिक माह में आयोजित किया जाता है। इस दिन पर लोग उपवास रखते हैं और तुलसी जी के साथ भगवान शालिग्राम की आराधना करते हैं तो आइए इस दिन (Kab Hai Tulsi Vivah 2024) की सही डेट व पूजा विधि जानते हैं जो यहां पर दी गई है।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। तुलसी विवाह का पर्व एक महत्वपूर्ण हिंदू अनुष्ठान है, जो हर साल भक्तिभाव के साथ मनाया जाता है। इस दिन भगवान विष्णु के स्वरूप शालिग्राम जी और तुलसी माता का विवाह कराया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन देवी तुलसी के साथ श्री हरि की पूजा करने से समस्त बाधाओं का अंत होता है। इसके साथ ही अक्षय फलों की प्राप्ति होती है। यह पवित्र परंपरा हिंदू संस्कृति में शादी व शुभ कार्यों की मौसम की शुरुआत का भी प्रतीक माना जाता है।
वहीं, जितना यह पर्व (Tulsi Vivah 2024) करीब आ रहा है, इसकी तिथि को लेकर कंफ्यूजन बढ़ती जा रही है, तो आइए इसकी सही डेट और पूजन विधि यहां पर जानते हैं।
12 या 13 नवंबर कब है तुलसी विवाह? (Kab Hai Tulsi Vivah 2024?)
वैदिक पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास की द्वादशी तिथि की शुरुआत दिन मंगलवार 12 नवबर, 2024 को शाम 4 बजकर 2 मिनट पर होगी। वहीं, इसका समापन दिन बुधवार 13 नवंबर, 2024 को दोपहर 1 बजकर 1 मिनट पर होगा।
पंचांग को देखते हुए इस साल तुलसी विवाह का पर्व 13 नवंबर को मनाया जाएगा। ऐसे में इस तिथि को लेकर मन में बिल्कुल भी शंका न लाएं और विधिवत पूजा-अर्चना करें।
तुलसी विवाह पूजा नियम (Tulsi Vivah 2024 Puja Rituals)
सबसे पहले सुबह जल्दी उठकर स्नान करें। लाल रंग के वस्त्र धारण करें। घर व मंदिर को साफ करें। फिर व्रत का संकल्प लें। इसके बाद विधिवत पूजा-अर्चना करें। शाम को अपने घरों और मंदिरों को सजाएं। खूब सारे दीपक जलाएं। गोधूलि बेला के दौरान शालिग्राम जी और तुलसी विवाह का आयोजन करें। फूल व साड़ियों से मंडप तैयार करें। फिर तुलसी के पौधे के साथ शालिग्राम जी को विराजमान करें। उन्हें पंचामृत से स्नान कराएं। इसके बाद तुलसी जी का 16 शृंगार करें। शालिग्राम जी को भी गोपी चंदन व पीले वस्त्र से सजाएं। उन्हें फूल, माला, फल, पंचामृत धूप, दीप, लाल चुनरी, शृंगार की सामग्री और मिठाई आदि चीजें अर्पित करें।
वैदिक मंत्रों का जाप करें। आरती से पूजा को पूर्ण करें। पूजा में हुई गलती के लिए क्षमा मांगे। फिर प्रसाद का वितरण घर के लोगों व अन्य सदस्यों में करें। इस अनुष्ठान में आप घर के बड़े-बुजुर्ग या फिर किसी जानकार पंडित की मदद ले सकते हैं।यह भी पढ़ें: Pradosh Vrat 2024: इस दिन मनाया जाएगा कार्तिक माह का अंतिम प्रदोष व्रत, नोट करें शुभ मुहूर्त एवं पूजन विधि
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