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Tulsi Vivah 2024: एक क्लिक में नोट करें तुलसी विवाह और प्रदोष व्रत की सही डेट

शिव पुराण में वर्णित है कि प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat 2024) करने से साधक के जीवन में व्याप्त सभी प्रकार के दुख एवं संकट दूर हो जाते हैं। साथ ही घर में सुख और समृद्धि आती है। इस अवसर पर साधक भक्ति भाव से शिव-शक्ति की पूजा करते हैं। भगवान शिव की पूजा करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होती है।

By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Tue, 12 Nov 2024 08:53 PM (IST)
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Tulsi Vivah 2024: तुलसी विवाह का धार्मिक महत्व
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Pradosh Vrat 2024: हर वर्ष कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि पर तुलसी विवाह मनाया जाता है। इस शुभ अवसर पर तुलसी माता और भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। सनातन शास्त्रों में निहित है कि कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि पर भगवान विष्णु और मां तुसली परिणय सूत्र में बंधे थे। अत: हर वर्ष कार्तिक माह में देवउठनी एकादशी के अगले दिन तुलसी विवाह मनाया जाता है। इस वर्ष कार्तिक माह की द्वादशी तिथि और त्रयोदशी एक दिन है। इसके लिए साधक डेट को लेकर दुविधा में हैं। आइए, प्रदोष व्रत और तुलसी विवाह की सही डेट जानते हैं-

तुलसी विवाह शुभ मुहूर्त

कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि आज दोपहर 01 बजकर 01 मिनट तक है। इसके बाद शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि शुरू होगी। इस दिन गंगा आरती की जाती है। साथ ही शिव-शक्ति की पूजा की जाती है। लक्ष्मी नारायण जी की पूजा करने से साधक के सकल मनोरथ पूर्ण होंगे। इसके लिए तुलसी विवाह 13 नवंबर को ही मनाया जाएगा। वहीं, संध्याकाल में शिव-शक्ति को समर्पित प्रदोष व्रत मनाया जाएगा। साधक अपनी सुविधा के अनुसार समय पर शिव-शक्ति की पूजा कर सकते हैं।

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प्रदोष व्रत शुभ मुहूर्त (Pradosh Vrat Shubh Muhurat)

वैदिक पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 13 नवंबर को दोपहर 03 बजकर 27 मिनट पर शुरू होगी। इसके अगले दिन यानी 14 नवंबर को सुबह 09 बजकर 43 मिनट पर समाप्त होगी। प्रदोष काल में भगवान शिव की पूजा की जाती है। इसके लिए 13 नवंबर को ही प्रदोष व्रत मनाया जाएगा। बुधवार के दिन पड़ने के चलते बुध प्रदोष व्रत कहलाएगा। साधक अपनी सुविधा के अनुसार समय पर शिव शक्ति की पूजा उपासना कर सकते हैं।

शुभ योग (Pradosh Vrat Shubh Yog)

ज्योतिषियों की मानें तो कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि यानी प्रदोष व्रत पर दुर्लभ शिववास का संयोग बन रहा है। वहीं, द्वादशी तिथि तक भगवान शिव कैलाश पर विराजमान रहेंगे। इसके बाद भगवान शिव नंदी की सवारी करेंगे। इस समय में भगवान शिव का अभिषेक करने से सभी कार्यों में साधक को सफलता मिलेगी। इसके साथ ही बालव और कौलव करण के भी योग बन रहे हैं। इन योग में भगवान शिव की पूजा उपासना करने से साधक को सभी संकटों से मुक्ति मिलेगी।

पंचांग

सूर्योदय - सुबह 06 बजकर 42 मिनट पर

सूर्यास्त - शाम 05 बजकर 28 मिनट पर

चन्द्रोदय- दोपहर 03 बजकर 33 मिनट से

चन्द्रास्त- सुबह 04 बजकर 43 मिनट पर

ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 04 बजकर 56 मिनट से 05 बजकर 49 मिनट तक

विजय मुहूर्त - दोपहर 01 बजकर 53 मिनट से 02 बजकर 36 मिनट तक

गोधूलि मुहूर्त - शाम 05 बजकर 28 मिनट से 05 बजकर 55 मिनट तक

निशिता मुहूर्त - रात्रि 11 बजकर 39 मिनट से 12 बजकर 32 मिनट तक

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।