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Unknown Facts About God Krishna: जानें, जगत के पालनहार भगवान श्रीकृष्ण से जुड़ी ये 5 रोचक बातें

भगवान श्रीकृष्ण बेहद दयालु एवं कृपालु हैं। अपने भक्तों पर सदा कृपा बरसाते हैं। अतः उनके भक्तों पर कभी कोई आंच नहीं आती है। इतना ही नहीं मृत्यु उपरांत कृष्ण भक्तों को मोक्ष यानी वैकुंठ लोक की प्राप्ति होती है। भगवान श्रीकृष्ण एवं श्रीजी की पूजा करने से साधक को परमानंद की अनुभूति होती है। साथ ही जीवन में व्याप्त सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिलती है।

By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Tue, 02 Apr 2024 04:52 PM (IST)
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Unknown Facts About God Krishna: जानें, जगत के पालनहार भगवान श्रीकृष्ण से जुड़ी ये 5 रोचक बातें
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Unknown Facts About God Krishna: बुधवार का दिन जगत के पालनहार भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित होता है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण संग राधा रानी की पूजा की जाती है। साथ ही मनोवांछित फल की प्राप्ति हेतु व्रत रखा जाता है। भगवान श्रीकृष्ण बेहद दयालु एवं कृपालु हैं। अपने भक्तों पर सदा कृपा बरसाते हैं। अतः उनके भक्तों पर कभी कोई आंच नहीं आती है। इतना ही नहीं, मृत्यु उपरांत कृष्ण भक्तों को मोक्ष यानी वैकुंठ लोक की प्राप्ति होती है। धार्मिक मत है कि भगवान श्रीकृष्ण एवं श्रीजी की पूजा करने से साधक को परमानंद की अनुभूति होती है। साथ ही जीवन में व्याप्त सभी प्रकार के शारीरिक एवं मानसिक कष्टों से मुक्ति मिलती है। लेकिन क्या आपको पता है कि भगवान श्रीकृष्ण कितनी बार भूलोक पर भोजन प्राप्त किए हैं ? आइए, भगवान श्रीकृष्ण की जीवनी से जुड़ी रोचक बातें जानते हैं-

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श्रीकृष्ण से जुड़ी ये रोचक बातें

  1. सनातन शास्त्रों में निहित है कि भगवान श्रीकृष्ण ने वैकुंठ में भूलोक या भूलोक से प्राप्त अनाज से तीन बार भोजन ग्रहण किया था। इनमें एक बार सुदामा जी से भोजन प्राप्त हुआ था, दूसरी बार द्रौपदी और तीसरी बार विदुर जी से भोजन प्राप्त किया था।
  2. भगवान श्रीकृष्ण की छवि की कल्पना या वर्णन सर्वप्रथम उत्तरा ने किया था। ऐसा कहा जाता है कि उत्तरा के पुत्र की रक्षा भगवान श्रीकृष्ण ने किया था। इसके उपलक्ष्य पर बिहार एवं उत्तर प्रदेश के कई स्थानों पर जितिया पर्व मनाया जाता है।
  3. त्रेता युग में जगत जननी आदिशक्ति मां सीता को अग्नि परीक्षा हेतु विवश करने वाले धोबी को भगवान श्रीकृष्ण ने द्वापर युग में सबक सिखाया था। कालांतर में भगवान राम ने उसे क्षमा कर दिया था।
  4. विभिन्न प्रकार के माध्यमों से भगवान श्रीकृष्ण को अन्य वर्ण (गोरा) में प्रस्तुत किया गया है, लेकिन भगवान श्रीकृष्ण असल में श्याम वर्ण के थे। आसान शब्दों में कहें तो भगवान श्रीकृष्ण सावलें थे।
  5. शास्त्रों में वर्णित है कि त्रेता युग में वानरों ने भगवान श्रीराम की सहायता माता जानकी को रावण के चंगुल से बचाने में की थी। अतः द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण चुराए हुए माखनों को स्वयं पाते थे और शेष को वानरों के मध्य वितरित कर देते थे।
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डिसक्लेमर- इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/जयोतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेंगी।