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Utpanna Ekadashi 2023: कल पूजा के समय करें इन मंत्रों का जाप और एकादशी आरती, सभी संकटों से मिलेगी मुक्ति

Utpanna Ekadashi 2023 धार्मिक मान्यता है कि एकादशी तिथि पर जगत के पालनहार भगवान विष्णु की उपासना करने से साधक को सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है। अगर आप भी भगवान विष्णु का आशीर्वाद पाना चाहते हैं तो उत्पन्ना एकादशी पर विधि-विधान से भगवान नारायण की पूजा करें। साथ ही पूजा के समय मंत्रों का जाप और एकादशी आरती करें।

By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Thu, 07 Dec 2023 05:14 PM (IST)
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Utpanna Ekadashi 2023: कल पूजा के समय करें इन मंत्रों का जाप और एकादशी आरती, सभी संकटों से मिलेगी मुक्ति

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Utpanna Ekadashi 2023: सनातन धर्म में हर महीने कृष्ण और शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि के अगले दिन एकादशी व्रत रखा जाता है। यह दिन जगत के पालनहार भगवान विष्णु को समर्पित होता है। इस वर्ष 08 दिसंबर को उत्पन्ना एकादशी है। इस शुभ अवसर पर मंदिरों-मठों में विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है। धार्मिक मान्यता है कि एकादशी तिथि पर भगवान विष्णु की उपासना करने से साधक को सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है। अगर आप भी भगवान विष्णु का आशीर्वाद पाना चाहते हैं, तो उत्पन्ना एकादशी पर विधि-विधान से भगवान नारायण की पूजा करें। साथ ही पूजा के समय इन मंत्रों का जाप करें और एकादशी आरती करें।

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भगवान विष्णु के मंत्र

1. कायेन वाचा मनसेन्द्रियैर्वा ।

बुद्ध्यात्मना वा प्रकृतिस्वभावात् ।

करोमि यद्यत्सकलं परस्मै ।

नारायणयेति समर्पयामि ॥

कायेन वाचा मनसेन्द्रियैर्वा

बुद्ध्यात्मना वानुसृतस्वभावात् ।

करोति यद्यत्सकलं परस्मै

नारायणयेति समर्पयेत्तत् ॥

2. शान्ताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं सुरेशं

विश्वाधारं गगनसदृशं मेघवर्ण शुभाङ्गम् ।

लक्ष्मीकान्तं कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यम्

वन्दे विष्णुं भवभयहरं सर्वलोकैकनाथम् ॥

3. शुक्लाम्बरधरं विष्णुं शशिवर्णं चतुर्भुजम् ।

प्रसन्नवदनं ध्यायेत् सर्वविघ्नोपशान्तये ॥

4. ध्याये न्नृसिंहं तरुणार्कनेत्रं सिताम्बुजातं ज्वलिताग्रिवक्त्रम्।

अनादिमध्यान्तमजं पुराणं परात्परेशं जगतां निधानम्।।

5. ॐ नमोः भगवते वासुदेवाय॥

6. ॐ श्री विष्णवे च विद्महे वासुदेवाय धीमहि तन्नो विष्णुः प्रचोदयात्॥

7. दन्ताभये चक्र दरो दधानं, कराग्रगस्वर्णघटं त्रिनेत्रम्।

धृताब्जया लिंगितमब्धिपुत्रया लक्ष्मी गणेशं कनकाभमीडे।।

8. ॐ भूरिदा भूरि देहिनो, मा दभ्रं भूर्या भर। भूरि घेदिन्द्र दित्ससि।

ॐ भूरिदा त्यसि श्रुत: पुरूत्रा शूर वृत्रहन्। आ नो भजस्व राधसि।

9. ॐ नमो भगवते महासुदर्शनाय वासुदेवाय धन्वंतराये:

अमृतकलश हस्ताय सर्व भयविनाशाय सर्व रोगनिवारणाय

त्रिलोकपथाय त्रिलोकनाथाय श्री महाविष्णुस्वरूप

श्री धनवंतरी स्वरूप श्री श्री श्री औषधचक्र नारायणाय नमः॥

10. ॐ ह्रीं श्री क्रीं क्लीं श्री लक्ष्मी मम गृहे धन पूरये, धन पूरये, चिंताएं दूरये-दूरये स्वाहा:

एकादशी की आरती

ॐ जय एकादशी, जय एकादशी, जय एकादशी माता ।

विष्णु पूजा व्रत को धारण कर, शक्ति मुक्ति पाता ।।

तेरे नाम गिनाऊं देवी, भक्ति प्रदान करनी ।

गण गौरव की देनी माता, शास्त्रों में वरनी ।।

मार्गशीर्ष के कृष्णपक्ष की उत्पन्ना, विश्वतारनी जन्मी।

शुक्ल पक्ष में हुई मोक्षदा, मुक्तिदाता बन आई।।

पौष के कृष्णपक्ष की, सफला नामक है,

शुक्लपक्ष में होय पुत्रदा, आनन्द अधिक रहै ।।

नाम षटतिला माघ मास में, कृष्णपक्ष आवै।

शुक्लपक्ष में जया, कहावै, विजय सदा पावै ।।

विजया फागुन कृष्णपक्ष में शुक्ला आमलकी,

पापमोचनी कृष्ण पक्ष में, चैत्र महाबलि की ।।

चैत्र शुक्ल में नाम कामदा, धन देने वाली,

नाम बरुथिनी कृष्णपक्ष में, वैसाख माह वाली ।।

शुक्ल पक्ष में होय मोहिनी अपरा ज्येष्ठ कृष्णपक्षी,

नाम निर्जला सब सुख करनी, शुक्लपक्ष रखी।।

योगिनी नाम आषाढ में जानों, कृष्णपक्ष करनी।

देवशयनी नाम कहायो, शुक्लपक्ष धरनी ।।

कामिका श्रावण मास में आवै, कृष्णपक्ष कहिए।

श्रावण शुक्ला होय पवित्रा आनन्द से रहिए।।

अजा भाद्रपद कृष्णपक्ष की, परिवर्तिनी शुक्ला।

इन्द्रा आश्चिन कृष्णपक्ष में, व्रत से भवसागर निकला।।

पापांकुशा है शुक्ल पक्ष में, आप हरनहारी।

रमा मास कार्तिक में आवै, सुखदायक भारी ।।

देवोत्थानी शुक्लपक्ष की, दुखनाशक मैया।

पावन मास में करूं विनती पार करो नैया ।।

परमा कृष्णपक्ष में होती, जन मंगल करनी।।

शुक्ल मास में होय पद्मिनी दुख दारिद्र हरनी ।।

जो कोई आरती एकादशी की, भक्ति सहित गावै।

जन गुरदिता स्वर्ग का वासा, निश्चय वह पावै।।

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