Utpanna Ekadashi 2023: उत्पन्ना एकादशी पर इस योग में करें भगवान विष्णु की पूजा, सभी संकटों से मिलगी मुक्ति
ज्योतिषियों की मानें तो उत्पन्ना एकादशी 8 दिसंबर को प्रातः काल 05 बजकर 06 मिनट पर शुरू होगी और 9 दिसंबर को सुबह 06 बजकर 31 मिनट पर समाप्त होगी। आम साधक 08 दिसंबर को उत्पन्ना एकादशी का व्रत रखेंगे। वहीं वैष्णवजन 09 दिसंबर को एकादशी व्रत रखेंगे। साधक 9 दिसंबर को दोपहर 01 बजकर 15 मिनट से लेकर 03 बजकर 20 मिनट के मध्य पारण कर सकते हैं।
By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Sun, 03 Dec 2023 04:07 PM (IST)
धर्म डेस्क, नई दिल्ली | Utpanna Ekadashi 2023: हर वर्ष मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को उत्पन्ना एकादशी मनाई जाती है। इस प्रकार, वर्ष 2023 में 8 दिसंबर को उत्पन्ना एकादशी है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा-उपासना की जाती है। साथ ही उनके निमित्त व्रत भी रखा जाता है। इसके अलावा, एकादशी तिथि पर आर्थिक स्थिति के अनुसार दान करने का भी विधान है। धार्मिक महत्व है कि एकादशी व्रत करने से साधक को सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है। अतः साधक श्रद्धा भाव से जगत के पालनहार और धन की देवी मां लक्ष्मी की पूजा करते हैं। अगर आप भी अपने जीवन में व्याप्त सभी प्रकार के दुख और संकट से निजात पाना चाहते हैं, तो उत्पन्ना एकादशी पर इस शुभ योग में भगवान नारायण की पूजा करें। आइए जानते हैं-
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शुभ मुहूर्त
ज्योतिषियों की मानें तो उत्पन्ना एकादशी 8 दिसंबर को प्रातः काल 05 बजकर 06 मिनट पर शुरू होगी और 9 दिसंबर को सुबह 06 बजकर 31 मिनट पर समाप्त होगी। सामान्य जन 08 दिसंबर को उत्पन्ना एकादशी का व्रत रखेंगे। वहीं, वैष्णवजन 09 दिसंबर को एकादशी व्रत रखेंगे। साधक 9 दिसंबर को दोपहर 01 बजकर 15 मिनट से लेकर 03 बजकर 20 मिनट के मध्य पारण कर सकते हैं।
सौभाग्य योग
ज्योतिषियों की मानें तो उत्पन्ना एकादशी पर सौभाग्य और शोभन योग का निर्माण हो रहा है। सौभाग्य योग देर रात 12 बजकर 05 मिनट तक है। इसके पश्चात, शोभन योग का निर्माण हो रहा है। शोभन योग 09 दिसंबर को रात 11 बजकर 37 मिनट पर समाप्त होगा। इन योग में भगवान विष्णु की पूजा करने से साधक को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। साथ ही घर में सुख, समृद्धि, शांति और खुशहाली आती है। साधक 08 और 09 दिसंबर को सौभाग्य और शोभन योग में विधि-विधान से पूजा-उपासना कर सकते हैं।यह भी पढ़ें : जानें, नागपुर के 350 साल पुराने प्रसिद्ध गणेश पहाड़ी मंदिर का इतिहास और महत्वडिसक्लेमर- इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/जयोतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेंगी।