Move to Jagran APP

Utpanna Ekadashi 2023: उत्पन्ना एकादशी पर सौभाग्य योग का हो रहा है निर्माण, प्राप्त होगा कई गुना फल

यह पर्व हर वर्ष मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को मनाया जाता है। इस दिन जगत के पालनहार भगवान विष्णु की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। साथ ही उनके निमित्त व्रत रखा जाता है। एकादशी व्रत करने से साधक के सकल मनोरथ सिद्ध हो जाते हैं। साथ ही जीवन में सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है।

By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Mon, 27 Nov 2023 02:35 PM (IST)
Hero Image
Utpanna Ekadashi 2023: उत्पन्ना एकादशी पर सौभाग्य योग का हो रहा है निर्माण, प्राप्त होगा कई गुना फल

धर्म डेस्क, नई दिल्ली | Utpanna Ekadashi 2023: सनातन पंचांग के अनुसार, 8 दिसंबर को उत्पन्ना एकादशी है। यह पर्व हर वर्ष मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को मनाया जाता है। इस दिन जगत के पालनहार भगवान विष्णु की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। साथ ही उनके निमित्त व्रत रखा जाता है। एकादशी व्रत करने से साधक के सकल मनोरथ सिद्ध हो जाते हैं। साथ ही जीवन में सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है। अतः साधक श्रद्धा-भाव से आराध्य भगवान विष्णु की पूजा करते हैं। ज्योतिषियों की मानें तो उत्पन्ना एकादशी पर दुर्लभ सौभाग्य योग का निर्माण हो रहा है। इस योग में भगवान विष्णु की पूजा करने से आय और भाग्य में अपार वृद्धि होगी। आइए, शुभ योग और मुहूर्त जानते हैं-  

यह भी पढ़ें : वृषभ राशि के जातक जरूर करें ये उपाय, साल 2024 में नहीं होगी धन की कमी

शुभ मुहूर्त

मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 8 दिसंबर को प्रातः काल 05 बजकर 06 मिनट पर शुरू होगी और अगले दिन 9 दिसंबर को सुबह 06 बजकर 31 मिनट पर समाप्त होगी। सनातन धर्म में उदया तिथि मान है। अत: 8 दिसंबर को उत्पन्ना एकादशी मनाई जाएगी। वहीं, साधक 9 दिसंबर को दोपहर 01 बजकर 15 मिनट से लेकर 03 बजकर 20 मिनट के मध्य पारण कर सकते हैं।

सौभाग्य योग

ज्योतिषियों की मानें तो उत्पन्ना एकादशी पर सौभाग्य योग का निर्माण हो रहा है। इस योग का निर्माण दिन भर है और देर रात 12 बजकर 05 मिनट पर सौभाग्य योग का समापन होगा। इसके पश्चात, शोभन योग का निर्माण हो रहा है। सौभाग्य योग में भगवान विष्णु की पूजा करने से आय, सुख, भाग्य और धन में वृद्धि होती है। इस योग में सभी प्रकार के शुभ कार्य कर सकते हैं।

यह भी पढ़ें : जानें, नागपुर के 350 साल पुराने प्रसिद्ध गणेश पहाड़ी मंदिर का इतिहास और महत्व

डिसक्लेमर- इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/जयोतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेंगी।