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Surya Arghya Vidhi: वैशाख माह में सूर्य देव को इस विधि से चढ़ाएं जल, पहुंच जाएंगे करियर के टॉप पर

भगवान सूर्य की पूजा शास्त्रों में बेहद शुभ मानी गई है। ज्योतिष के अनुसार रविवार का दिन भगवान सूर्य को समर्पित है। ऐसी मान्यता है कि भगवान सूर्य की पूजा से आकस्मिक धन लाभ और भाग्योदय का वरदान मिलता है। ऐसे में जब वैशाख माह चल रहा है तो क्यों न सूर्य देव को जल चढ़ाने का सही नियम जान लें जिससे जीवन में खुशियों का आगमन हो।

By Vaishnavi Dwivedi Edited By: Vaishnavi Dwivedi Updated: Thu, 02 May 2024 01:20 PM (IST)
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Vaishakh Month 2024 Surya Arghya Vidhi: वैशाख माह में इस विधि से दें अर्घ्य

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Vaishakh Month 2024 Surya Arghya Vidhi: हिंदू धर्म में हर महीने का अपना एक विशेष महत्व है। पंचांग के अनुसार, इस साल के दूसरे महीने वैशाख माह की शुरुआत हो चुकी है। यह महीना भगवान विष्णु को समर्पित है। ऐसा माना जाता है कि इस माह भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना और दान- पुण्य करने से व्यक्ति का भाग्योदय होता है। इसके अलावा इस पूरे माह गंगा नदी में डुबकी लगाना, सूर्यदेव को जल चढ़ाना अति शुभ माना गया है, जो लोग इन कार्यों को पूरी श्रद्धा के साथ करते हैं उन्हें अपने करियर के टॉप पर पहुंचने से कोई नहीं रोक सकता है, तो आइए जानते हैं वैशाख महीने में सूर्यदेव को अर्घ्य कैसे देना चाहिए?

वैशाख माह में ऐसे दें भगवान सूर्य को अर्घ्य

  • ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान-ध्यान करें।
  • एक लोटे में जल के साथ लाल फूल, चावल, अक्षत, कुमकुम, हल्दी, गुड़ डालें।
  • इसके बाद एक आसन पर खड़े होकर सूर्यदेव को नमस्कार करें और उनके वैदिक मंत्रों का जाप करते हुए उन्हें जल अर्पित करें।
  • सूर्यदेव स्तोत्र व सूर्यदेव चालीसा का पाठ करें।
  • फिर धूप, दीप और कपूर से भगवान सूर्य की आरती करें।
  • सूर्य भगवान को नारियल, फल, मिठाई आदि का भोग लगाएं।
  • पूजा में हुई गलतियों के लिए क्षमायाचना करें।
  • जितने दिन सूर्य देव को अर्घ्य दें, उतने दिन सात्विक आहार ही ग्रहण करें।
  • जल चढ़ाते समय सिर से लोटा नीचें रखें।
  • लाल वस्त्र धारण करके सूर्य देव को जल चढ़ाना शुभ माना गया है।
  • उगते सूरज को ही जल चढ़ाएं।
  • अर्घ्य का पानी पैरों में न पड़ने दें।

सूर्य देव को अर्घ्य देते समय इन मंत्रों का करें जाप

  • ॐ घृणिं सूर्य्य: आदित्य:
  • ॐ ह्रीं घृणिः सूर्य आदित्यः क्लीं ॐ
  • एहि सूर्य! सहस्त्रांशो! तेजो राशे! जगत्पते!

    अनुकम्प्यं मां भक्त्या गृहाणार्घ्य दिवाकर!

  • ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय सहस्रकिरणराय मनोवांछित फलम् देहि देहि स्वाहा
  • ॐ ऐहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजो राशे जगत्पते, अनुकंपयेमां भक्त्या, गृहाणार्घय दिवाकर:

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डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'