Move to Jagran APP

Vaishakh Purnima 2024: संध्या आरती के समय भगवान शिव को लगाएं खीर का भोग, बन जाएंगे सारे बिगड़े काम

ज्योतिषियों की मानें तो पूर्णिमा तिथि पर सोम देव की पूजा-आराधना करने से कुंडली में चंद्र ग्रह मजबूत होता है। इसके अलावा शुक्ल पक्ष के दौरान रोजाना जल में सफेद फूल मिलाकर चंद्र देव को अर्घ्य देने से भी चंद्रमा मजबूत होता है। कुंडली में चंद्रमा मजबूत रहने से जातक का मन प्रसन्न रहता है। व्यक्ति को सभी शुभ कामों में सफलता मिलती है।

By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Thu, 23 May 2024 04:34 PM (IST)
Hero Image
Vaishakh Purnima 2024: संध्या आरती के समय भगवान शिव को लगाएं खीर का भोग
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Vaishakh Purnima 2024: देशभर में बुद्ध पूर्णिमा का त्योहार (Buddha Purnima 2024) उत्साह और उमंग के साथ मनाया जा रहा है। इस शुभ अवसर पर बुद्ध मंदिरों को भव्य तरीके से सजाया गया है। साथ ही मंदिरों में भगवान बुद्ध की विशेष पूजा-अर्चना की जा रही है। साथ ही श्रद्धालु दान-पुण्य कर रहे हैं। जगह-जगह पर भगवान बुद्ध की झांकी निकाली गई। धार्मिक मान्यता है कि पूर्णिमा तिथि पर पूजा, जप-तप और दान-पुण्य करने से व्यक्ति को अमोघ फल की प्राप्ति होती है। साथ ही घर में सुख, समृद्धि एवं खुशहाली आती है। लेकिन क्या आपको पता है कि पूर्णिमा तिथि पर चावल की खीर भगवान शिव और चंद्र देव को क्यों भोग में अर्पित की जाती है ? आइए, इसके बारे में सबकुछ जानते हैं-

यह भी पढ़ें: कब और कैसे हुई धन की देवी की उत्पत्ति? जानें इससे जुड़ी कथा एवं महत्व


ज्योतिष महत्व

ज्योतिषियों की मानें तो पूर्णिमा तिथि पर सोम देव की पूजा-आराधना करने से कुंडली में चंद्र ग्रह मजबूत होता है। इसके अलावा, शुक्ल पक्ष के दौरान रोजाना जल में सफेद फूल मिलाकर चंद्र देव को अर्घ्य देने से भी चंद्रमा मजबूत होता है। कुंडली में चंद्रमा मजबूत रहने से जातक का मन प्रसन्न रहता है। व्यक्ति को सभी शुभ कामों में सफलता मिलती है। साथ ही माता जी की सेहत अच्छी रहती है।

चंद्र देव को संस्कृत में सोम कहा जाता है। भगवान शिव ने चंद्रमा को अपने शीश पर धारण किया है। इससे उन्हें शीतलता प्राप्त होती है। इसके लिए सोमवार का दिन भगवान शिव को समर्पित होता है। भगवान शिव की पूजा करने से कुंडली में चंद्रमा मजबूत होता है। चंद्रमा का वर्ण श्वेत है। अतः सोमवार के दिन सफेद चीजों का दान किया जाता है।

वहीं, पूर्णिमा तिथि पर संध्या आरती के समय अखंडित चावल, मखान, इलायची, काजू, दूध और मिश्री से निर्मित खीर भगवान शिव को भोग लगाया जाता है। इसके पश्चात, खीर को चांद की रोशनी में रखा जाता है। फिर प्रसाद रूप में गृह के सदस्य खीर को ग्रहण करते हैं। धार्मिक मान्यता है कि पूर्णिमा तिथि पर भगवान शिव को चावल की खीर अर्पित करने से व्यक्ति को मानसिक तनाव से निजात मिलती है। साथ ही आय, सुख और सौभाग्य में बढ़ोतरी होती है। अतः पूर्णिमा तिथि पर चावल की खीर बनाकर भगवान शिव को भोग में अर्पित किया जाता है।

यह भी पढ़ें: आखिर किस वजह से कौंच गंधर्व को द्वापर युग में बनना पड़ा भगवान गणेश की सवारी?

अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।