Vakratunda Chaturthi 2024: अक्टूबर महीने में कब है वक्रतुंड संकष्टी चतुर्थी? नोट करें सही डेट और शुभ मुहूर्त
सनातन धर्म में वक्रतुंड संकष्टी चतुर्थी का विशेष महत्व है। इस दिन भगवान गणेश की पूजा (Vakratunda Chaturthi 2024 Date) की जाती है। भगवान गणेश की पूजा करने से सुख सौभाग्य और आय में बढ़ोतरी होती है। इस व्रत को करने से जीवन में व्याप्त सभी प्रकार के दुख एवं संताप दूर हो जाते हैं। वक्रतुंड संकष्टी चतुर्थी पर वरीयान योग का निर्माण हो रहा है।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हर वर्ष कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को वक्रतुंड संकष्टी चतुर्थी मनाई जाती है। इस दिन भगवान गणेश की पूजा की जाती है। इसके साथ ही मनचाहा वर पाने के लिए वक्रतुंड संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखा जाता है। इस व्रत को करने से साधक को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। साथ ही आर्थिक तंगी से निजात मिलती है। इसके लिए साधक कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर भक्ति भाव से भगवान गणेश (Lord Ganesh Puja Vidhi) की पूजा करते हैं। आइए, सही डेट शुभ मुहूर्त और महत्व जानते हैं-
शुभ मुहूर्त
वैदिक पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 20 अक्टूबर को सुबह 06 बजकर 46 मिनट पर शुरू होगी और 21 नवंबर को सुबह 04 बजकर 16 मिनट पर समाप्त होगी। सूर्योदय से तिथि की गणना की जाती है। अत: 20 अक्टूबर को वक्रतुंड संकष्टी चतुर्थी मनाई जाएगी। वक्रतुंड संकष्टी चतुर्थी पर चंद्रोदय संध्याकाल 07 बजकर 54 मिनट पर होगा।
पूजा विधि
कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन ब्रह्म बेला में उठकर भगवान गणेश का ध्यान कर दिन की शुरुआत करें। अब घर की साफ-सफाई करें। दैनिक कार्यों से निवृत्त होने के बाद गंगाजल युक्त पानी से स्नान करें। अब आचमन कर व्रत संकल्प लें और पीले रंग का वस्त्र का धारण करें। इसके बाद सूर्य देव को जल का अर्घ्य दें। अब पंचोपचार कर भगवान गणेश की विधि-विधान से पूजा करें। इस समय भगवान गणेश को पीले रंग का फूल, फल, मोदक, मालपुए और दूर्वा अर्पित करें। पूजा के समय गणेश चालीसा और गणेश स्तोत्र का पाठ एवं मंत्र जप करें। अंत में आरती करें। इस समय भगवान गणेश से सुख, समृद्धि और आय में वृद्धि की कामना करें। दिनभर उपवास रखें और संध्याकाल में आरती कर फलाहार करें। अगले दिन पूजा-पाठ कर व्रत खोलें।
शुभ योग
ज्योतिषियों की मानें तो कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर वरीयान योग का निर्माण दोपहर 02 बजकर 13 मिनट से हो रहा है। साथ ही शिववास योग का भी संयोग बन रहा है। इस योग में देवों के देव महादेव कैलाश पर विराजमान रहेंगे। इस दौरान भगवान गणेश की पूजा करने से व्रती को दोगुना फल प्राप्त होगा।
पंचांग
सूर्योदय - सुबह 06 बजकर 25 मिनट पर
सूर्यास्त - शाम 05 बजकर 46 मिनट पर
चंद्रोदय- शाम 07 बजकर 54 मिनट पर
चंद्रास्त- सुबह 09 बजकर 33 मिनट पर
ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 04 बजकर 44 मिनट से 05 बजकर 35 मिनट तक
विजय मुहूर्त - दोपहर 01 बजकर 59 मिनट से 02 बजकर 44 मिनट तक
गोधूलि मुहूर्त - शाम 05 बजकर 46 मिनट से 06 बजकर 11 मिनट तक
निशिता मुहूर्त - रात्रि 11 बजकर 41 मिनट से 12 बजकर 31 मिनट तक
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