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Vakratunda Sankashti Chaturthi की पूजा थाली में शामिल करें ये भोग, बरसेगी भगवान गणेश की अपार कृपा

सनातन धर्म में भगवान गणेश की कृपा प्राप्त करने के लिए संकष्टी चतुर्थी तिथि को शुभ माना जाता है। हर माह के कृष्ण और शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि पर गणपति बप्पा की पूजा-अर्चना करने का विधान है। साथ ही जीवन के संकटों से छुटकारा पाने के लिए व्रत भी किया जाता है। इस दिन दान करने का विशेष महत्व है।

By Kaushik Sharma Edited By: Kaushik Sharma Updated: Wed, 16 Oct 2024 06:34 PM (IST)
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Lord Ganesh: पूजा थाली में शामिल करें ये भोग
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म में संकष्टी चतुर्थी पर भगवान गणेश जी की पूजा का विशेष महत्व है। हर माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को संकष्टी चतुर्थी का पर्व मनाया जाता है। कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष में वक्रतुंड संकष्टी चतुर्थी का त्योहार अधिक उत्साह के साथ मनाया जाता है। साथ ही जीवन में खुशियों के आगमन के लिए विशेष चीजों का दान गरीब लोगों में दान भी किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि वक्रतुंड संकष्टी चतुर्थी की पूजा के दौरान भगवान गणेश को भोग अर्पित न करने से साधक पुण्य की प्राप्ति से वंचित रहता है। इसलिए पूजा थाली में प्रिय भोग को शामिल करने चाहिए। आइए इस लेख में हम आपको बताएंगे कि गणपति बप्पा को किन चीजों का भोग लगाना जातक के लिए फलदायी साबित होता है।

इन चीजों का लगाएं भोग

  • ऐसा माना जाता है कि भगवान गणेश को मोतीचूर के लड्डू प्रिय है। अगर आप प्रभु को प्रसन्न करना चाहते हैं, तो वक्रतुंड संकष्टी चतुर्थी की पूजा थाली में मोतीचूर के लड्डू जरूर शामिल करें। मान्यता है कि इससे सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है।
  • इसके अलावा गणेश जी को खीर भी अर्पित कर सकते हैं। इससे धन लाभ के योग बनते हैं और जीवन में कभी भी पैसों की कमी नहीं होती है।
  • वक्रतुंड संकष्टी चतुर्थी के दिन गणपति बप्पा को मोदक और फल भी भोग के रूप में अर्पित कर सकते हैं। इससे बप्पा प्रसन्न होकर भक्तों पर अपनी कृपा बनाए रखते हैं और जातक के सभी दुख एवं संकट दूर होते हैं।
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भोग मंत्र

गणपति बप्पा को भोग अर्पित करते समय समय निम्न मंत्र (Lord Ganesh Bhog Mantra) का जप करें। धार्मिक मान्यता है कि मंत्र जप के बिना प्रभु भोग को स्वीकार नहीं करते हैं।

त्वदीयं वस्तु गोविन्द तुभ्यमेव समर्पये। गृहाण सम्मुखो भूत्वा प्रसीद परमेश्वर ।।

इस मंत्र के द्वारा भगवान को भोग लगाते समय प्रार्थना करें कि गणपति बप्पा हमारा भोग स्वीकार करें और हम पर अपनी कृपा दृष्टि बनाए रखें।

कब है वक्रतुंड संकष्टी चतुर्थी 2024?(Vakratunda Sankashti Chaturthi 2024 Date and Time)

पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि की शुरुआत 20 अक्टूबर को सुबह 06 बजकर 46 मिनट पर होगी। वहीं, इसका समापन 21 नवंबर को सुबह 04 बजकर 16 मिनट पर होगा। सूर्योदय से तिथि की गणना की जाती है। ऐसे में 20 अक्टूबर को वक्रतुंड संकष्टी चतुर्थी मनाई जाएगी। वक्रतुंड संकष्टी चतुर्थी पर चंद्रोदय संध्याकाल 07 बजकर 54 मिनट पर होगा।

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।