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Vakratunda Sankashti Chaturthi पर इस विधि से करें पूजा, नोट करें चंद्रोदय समय और अर्घ्य मंत्र

वक्रतुंड संकष्टी चतुर्थी को बहुत ही मंगलकारी व्रत माना गया है। संकष्टी (Vakratunda Sankashti Chaturthi 2024) का अर्थ है- समस्याओं से मुक्ति। ऐसा कहा जाता है कि इस उपवास को रखने से जीवन की सभी मुश्किलों का नाश होता है। साथ ही गणेश जी का आशीर्वाद सदैव के लिए प्राप्त होता है तो चलिए इस दिन से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातों को जानते हैं -

By Vaishnavi Dwivedi Edited By: Vaishnavi Dwivedi Updated: Sun, 20 Oct 2024 09:49 AM (IST)
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Vakratunda Sankashti Chaturthi पर इस विधि से करें पूजा।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। वक्रतुंड संकष्टी चतुर्थी कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 20 अक्टूबर, 2024 यानी आज मनाई जा रही है। यह दिन भगवान गणेश की पूजा के लिए बेहद शुभ माना जाता है। इस तिथि पर भक्त व्रत रखते हैं और अत्यंत भक्तिभाव से गणपति जी की पूजा-अर्चना करते हैं। चतुर्थी तिथि महीने में दो बार कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष में आती है। ऐसी मान्यता है कि इस व्रत (Vakratunda Sankashti Chaturthi 2024) को रखने से सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं और बप्पा जी का आशीर्वाद प्राप्त होता है, तो आइए इससे जुड़ी प्रमुख बातों को जानते हैं।

संकष्टी चतुर्थी तिथि मुहूर्त (Sankashti Chaturthi Shubh Muhurat)

हिंदू पंचांग के अनुसार, इस बार कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 20 अक्टूबर की सुबह 06 बजकर 46 मिनट पर शुरू हो चुकी है। वहीं, इस तिथि का समापन 21 अक्टूबर 2024 को सुबह 04 बजकर 16 मिनट पर होगा। उदया तिथि को देखते हुए वक्रतुंड संकष्टी चतुर्थी का व्रत 20 अक्टूबर को रखा जाएगा।

चंद्रोदय का समय

संकष्टी चतुर्थी (Sankashti Chaturthi Moonrise Time) पर शाम 07 बजकर 54 मिनट पर चांद निकलेगा।

अर्घ्य मंत्र

गगनार्णवमाणिक्य चन्द्र दाक्षायणीपते।

गृहाणार्घ्यं मया दत्तं गणेशप्रतिरूपक॥

संकष्टी चतुर्थी की पूजन विधि (Sankashti Chaturthi Chaturthi 2024 Puja Vidhi)

सुबह उठकर स्नान करें और पीले वस्त्र धारण करें। एक चौकी को साफ करें और उसपर बप्पा की प्रतिमा स्थापित करें। भगवान को गंगाजल और पंचामृत से स्नान करवाएं। सिंदूर, चंदन का तिलक लगाएं। पीले फूलों की माला और पुष्प अर्पित करें। मोदक और घर पर बनी अन्य चीजों का भोग लगाएं। देसी घी का दीपक जलाएं। गणेश जी के वैदिक मंत्रों का जाप करें। संकष्टी चतुर्थी व्रत कथा का पाठ समाप्त कर आरती करें।

व्रती अगले दिन भगवान गणेश को चढ़ाए गए प्रसाद से अपना व्रत खोलें। इसके साथ ही गणेश भगवान की पूजा में तुलसी पत्र का प्रयोग न करें। पूजा में हुई गलतियों के लिए क्षमा याचना करें। व्रती भोग से अपना व्रत खोलें। साथ ही किसी के बारे में बुरा बोलने से बचें।

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।