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Varuthini Ekadashi 2024: वरुथिनी एकादशी के दिन घर पर करें इस विधि से तुलसी पूजा, सभी दुखों से मिलेगा छुटकारा

वैशाख महीने में आने वाली एकादशी तिथि को वरुथिनी एकादशी (Varuthini Ekadashi 2024) के नाम से जाना जाता है। इस दौरान श्री हरि विष्णु के साथ माता लक्ष्मी और देवी तुलसी की पूजा होती है। इस साल यह एकादशी 4 मई को मनाई जाएगी। ऐसा कहा जाता है जो भक्त इस दिन भाव के साथ पूजा-अर्चना करते हैं उनके सभी कष्टों व पापों का नाश होता है।

By Vaishnavi Dwivedi Edited By: Vaishnavi Dwivedi Updated: Mon, 29 Apr 2024 09:28 AM (IST)
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Varuthini Ekadashi 2024: वरुथिनी एकादशी पर ऐसे करें तुलसी पूजा
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Varuthini Ekadashi 2024: सनातन धर्म में एकादशी तिथि का खास महत्व है। इस दिन भगवान विष्णु के साथ मां लक्ष्मी और देवी तुलसी की पूजा होती है। वैशाख मास में पड़ने वाली एकादशी तिथि को वरुथिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। ऐसा माना जाता है, जो जातक इस कठिन व्रत का पालन करते हैं उन्हें सुख-शांति का वरदान मिलता है। इसके अलावा घर खुशियों से भरा रहता है।

इस साल यह एकादशी 4 मई, 2024 दिन शनिवार को मनाई जाएगी। वहीं, अगर इस शुभ तिथि पर देवी तुलसी की पूजा विधि अनुसार की जाए, तो जीवन में धन-वैभव की कभी कमी नहीं रहती है, तो आइए जानते हैं -

कब है वरुथिनी एकादशी 2024?

इस साल वरुथिनी एकादशी का उपवास 4 मई, 2024 दिन शनिवार को रखा जाएगा। हिंदू पंचांग के अनुसार, 03 मई, 2024 दिन शुक्रवार को रात्रि 11 बजकर 24 मिनट पर वैशाख माह के कृष्ण पक्ष के एकादशी तिथि की शुरुआत होगी। वहीं इसका समापन 4 मई, 2024 दिन शुक्रवार को रात्रि 08 बजकर 38 मिनट पर होगा। उदयातिथि को देखते हुए 4 मई को वरुथिनी एकादशी का व्रत रखा जाएगा।

वरुथिनी एकादशी पर ऐसे करें तुलसी पूजा

  • व्रती सुबह उठकर पवित्र स्नान करें और घर की सफाई करें।
  • भगवान शालिग्राम को उनके साथ स्थापित करें।
  •  गंगाजल, पंचामृत और जल चढ़ाएं।
  • कुमकुम व गोपी चंदन, हल्दी का तिलक लगाएं।  
  • तुलसी के पौधे को साड़ी या दुपट्टे और अन्य सामान के साथ खूबसूरती से सजाएं।
  • शालिग्राम जी का श्रृंगार करने के लिए पीले वस्त्रों का प्रयोग करें।
  • भगवान शालिग्राम और देवी तुलसी को फूलों की माला अर्पित करें।
  • इस शुभ अवसर पर कीर्तन और भजन का आयोजन कर सकते हैं।
  •  विभिन्न सात्विक भोग प्रसाद सामग्री अर्पित करें।
  • वैदिक मंत्रों का जाप करें।
  •  देवी तुलसी और भगवान विष्णु की आरती करें।
  •  सभी अनुष्ठानों को पूरा करने के बाद प्रसाद को परिवार के सदस्यों के बीच बांटे।
  • पूजा में हुई गलती के लिए क्षमा प्रार्थना करें।
  • अगले दिन अपना व्रत खोलें।
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डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'