Varuthini Ekadashi 2024: वरुथिनी एकादशी के दिन करें श्री हरि विष्णु के साथ देवी तुलसी की पूजा, होगा कल्याण
सनातन धर्म में एकादशी (Ekadashi in May 2024) का व्रत बड़ा पुण्यदायी माना गया है। इस दिन भगवान विष्णु के भक्त उन्हें प्रसन्न करने के लिए कठिन उपवास रखते हैं और विभिन्न पूजा नियमों का पालन करते हैं। वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को वरुथिनी के नाम से जाना जाता है। इस साल यह 04 मई को मनाई जाएगी।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Varuthini Ekadashi 2024: एकादशी तिथि को बेहद शुभ माना गया है। इस दिन सृष्टि के पालनहार भगवान श्री हरि विष्णु की पूजा होती है। वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को वरुथिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। ऐसा माना जाता है कि यह श्री हरि को बेहद प्रिय है। इस साल यह तिथि 04 मई, 2024 को पड़ रही है। इसके अलावा इस पुण्यदायी मां तुलसी की पूजा का भी खास महत्व है, तो आइए यहां तुलसी कवच का पाठ करते हैं।
।।तुलसी कवच।।
मन ईप्सितकामनासिद्धयर्थं जपे विनियोगः ।तुलसी श्रीमहादेवि नमः पंकजधारिणी ।शिरो मे तुलसी पातु भालं पातु यशस्विनी ।।
दृशौ मे पद्मनयना श्रीसखी श्रवणे मम ।घ्राणं पातु सुगंधा मे मुखं च सुमुखी मम ।।
जिव्हां मे पातु शुभदा कंठं विद्यामयी मम ।स्कंधौ कह्वारिणी पातु हृदयं विष्णुवल्लभा ।।पुण्यदा मे पातु मध्यं नाभि सौभाग्यदायिनी ।कटिं कुंडलिनी पातु ऊरू नारदवंदिता ।।जननी जानुनी पातु जंघे सकलवंदिता ।नारायणप्रिया पादौ सर्वांगं सर्वरक्षिणी ।।संकटे विषमे दुर्गे भये वादे महाहवे ।नित्यं हि संध्ययोः पातु तुलसी सर्वतः सदा ।।इतीदं परमं गुह्यं तुलस्याः कवचामृतम् ।
मर्त्यानाममृतार्थाय भीतानामभयाय च ।।मोक्षाय च मुमुक्षूणां ध्यायिनां ध्यानयोगकृत् ।वशाय वश्यकामानां विद्यायै वेदवादिनाम् ।।द्रविणाय दरिद्राण पापिनां पापशांतये ।।अन्नाय क्षुधितानां च स्वर्गाय स्वर्गमिच्छताम् ।पशव्यं पशुकामानां पुत्रदं पुत्रकांक्षिणाम् ।।राज्यायभ्रष्टराज्यानामशांतानां च शांतये Iभक्त्यर्थं विष्णुभक्तानां विष्णौ सर्वांतरात्मनि ।।
जाप्यं त्रिवर्गसिध्यर्थं गृहस्थेन विशेषतः ।उद्यन्तं चण्डकिरणमुपस्थाय कृतांजलिः ।।तुलसीकानने तिष्टन्नासीनौ वा जपेदिदम् ।सर्वान्कामानवाप्नोति तथैव मम संनिधिम् ।।मम प्रियकरं नित्यं हरिभक्तिविवर्धनम् ।या स्यान्मृतप्रजा नारी तस्या अंगं प्रमार्जयेत् ।।सा पुत्रं लभते दीर्घजीविनं चाप्यरोगिणम् ।वंध्याया मार्जयेदंगं कुशैर्मंत्रेण साधकः ।।
साSपिसंवत्सरादेव गर्भं धत्ते मनोहरम् ।अश्वत्थेराजवश्यार्थी जपेदग्नेः सुरुपभाक ।।पलाशमूले विद्यार्थी तेजोर्थ्यभिमुखो रवेः ।कन्यार्थी चंडिकागेहे शत्रुहत्यै गृहे मम ।।श्रीकामो विष्णुगेहे च उद्याने स्त्री वशा भवेत्।किमत्र बहुनोक्तेन शृणु सैन्येश तत्त्वतः ।।यं यं काममभिध्यायेत्त तं प्राप्नोत्यसंशयम् ।मम गेहगतस्त्वं तु तारकस्य वधेच्छया ।।
जपन् स्तोत्रं च कवचं तुलसीगतमानसः ।मण्डलात्तारकं हंता भविष्यसि न संशयः ।।यह भी पढ़ें: Shani Jayanti 2024: शनि जयंती की पूजा में शामिल करें ये खास चीजें, जीवन में खुशियों का होगा आगमनडिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'