Vastu Tips: भूमि पूजन के समय इन बातों का रखें ध्यान, अन्न-धन से भर जाएंगे भंडार
सनातन धर्म में शुभ कार्य के शुभारंभ के समय भगवान गणेश की पूजा की जाती है। भगवान गणेश की पूजा करने से शुभ कार्यों में अवश्य ही सफलता मिलती है। साथ ही सभी बिगड़े कार्य भी बन जाते हैं। अतः श्रद्धा भाव से भगवान गणेश की पूजा-उपासना भूमि पूजन और गृह निर्माण कार्य (Vastu Tips) के समय किया जाता है।
By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Thu, 14 Nov 2024 03:32 PM (IST)
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म में गृह निर्माण से लेकर गृह प्रवेश तक वास्तु नियमों का पालन किया जाता है। वास्तु नियमों का पालन करने से घर में सुख समृद्धि और शांति बनी रहती है। साथ ही वंश में वृद्धि होती है। वहीं, अनदेखी करने से जीवन में नाना प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इसके लिए ज्योतिष भूमि खरीदारी से लेकर गृह प्रवेश तक वास्तु नियमों का पालन करने का सलाह देते हैं। अगर आप भी गृह निर्माण हेतु भूमि पूजन करने जा रहे हैं, तो वास्तु (Vastu Tips) के इन नियमों का अवश्य ख्याल रखें।
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वास्तु नियम
- भूमि पूजन के बाद गृह निर्माण का शिलान्यास आग्नेय कोण से करें। आसान शब्दों में कहें तो आग्नेय कोण से गृह निर्माण कार्य की शुरुआत करें। एक चीज का अवश्य ध्यान रखें कि गृह निर्माण कार्य दक्षिण दिशा में समाप्त न हो। अनदेखी करने से व्यक्ति को जीवन में ढेर सारी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है।
- भूमि पूजन कभी भी दोपहर में न करें, संध्या काल में न करें और न ही मध्यरात्रि में करें। भूमि पूजन का सबसे शुभ समय सुबह है। सुबह को छोड़कर किसी अन्य समय में भूमि पूजन करने से धन का नाश होता है।
- भूमि पूजन के समय किसी को कटु शब्द न बोलें। इसके साथ ही छींकना और थूकना भी शुभ नहीं माना जाता है। पद-प्रतिष्ठा, धन, यश, सुख-ऐश्वर्य और वंश में वृद्धि के लिए भूमि पूजन के समय ध्रुव तारा को देखकर या स्मरण कर पूजा करनी चाहिए। ऐसा करने से सभी दिशाओं के देवी देवताओं का शुभ आशीष प्राप्त होता है।
- घर के मध्य में कोई दीवार या खंभा न दें। इसे खुला रखें। अगर घर के मध्य में कोई दीवार देते हैं, तो वास्तु दोष लगता है। एक बार वास्तु दोष लगने के बाद जीवन में कई प्रकार की परेशानियों आती हैं। अतः गृह निर्माण के समय किसी वास्तु विशेषज्ञ से अवश्य सलाह लें।
- वास्तु जानकारों की मानें तो पौष और माघ महीने में गृह निर्माण कार्य का शुभारंभ न करें। ऐसा करने से धन की हानि होती है। साथ ही किसी प्रकार का अप्राकृतिक घटना का भी खतरा रहता है। इसके लिए पौष और माघ का महीना का त्याग करें।
अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।