Vat Savitri Vrat 2024: पहली बार रखने जा रही हैं वट सावित्री व्रत, तो गांठ बांध लें ये बातें
ज्येष्ठ महीने की अमावस्या तिथि पर वट सावित्री व्रत किया जाता है। यह व्रत मुख्य रूप से सुहागिन महिलाओं द्वारा अपने पति की लंबी उम्र के लिए करती हैं। इस दिन सुहागिन महिलाएं पूरे विधि-विधान से वट यानी बरगद के पेड़ की पूजा-अर्चना करती हैं। ऐसे में यदि आप पहली बार वट सावित्री व्रत करने जा रही हैं तो इन बातों का ध्यान जरूर रखें।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Vat Savitri Vrat 2024 Date: जैसा कि नाम से ही प्रतीत होता है, वट सावित्री व्रत मुख्य रूप से सावित्री और वट वृक्ष से जुड़ा हुआ है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, सावित्री ने यमराज को अपने पति सत्यवान के प्राण को लौटाने पर विवश किया था। इसलिए विवाहित स्त्रियां, पति की दीर्घायु और सकुशलता की कामना के लिए वट सावित्री व्रत करती हैं।
वट सावित्री व्रत शुभ मुहूर्त
ज्येष्ठ महीने की अमावस्या तिथि 05 जून, 2024 को शाम 06 बजकर 24 मिनट पर शुरू हो रही है। साथ ही इस तिथि का समापन 06 जून को दोपहर 04 बजकर 37 मिनट पर होगा। ऐसे में हिंदू पंचांग के अनुसार, वट सावित्री व्रत 06 जून गुरुवार के दिन किया जाएगा।
इस विधि से करें पूजा
वट सावित्री व्रत पर सबसे पहले सुहागिन महिलाएं ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान आदि कर लें। इसके बाद लाल रंग की साड़ी पहने और श्रृंगार करें। इस दिन पर वट वृक्ष के पेड़ के नीचे साफ-सफाई करें और गंगाजल का छिड़काव करें। इसके बाद वृक्ष में जल अर्पित करें और धूप, अगरबत्ती आदि जलाएं। अब वट वृक्ष के चारों तरफ सात बार कच्चा धागा लपेटते हुए परिक्रमा करें। अंत में वट सावित्री व्रत की कथा सुनें। पूजा के बाद जो फल, फूल, अनाज और कपड़ा आदि एक टोकरी में रख कर किसी ब्राह्मण को दान कर दें।यह भी पढ़ें - Jyeshtha Amavasya 2024: ज्येष्ठ अमावस्या पर जरूर करें ये कार्य, पितृ दोष से मिलेगी मुक्ति
इस बातों का भी रखें ध्यान
वट सावित्री व्रत के दिन सुहागिन महिलाओं को भूल से भी काले या फिर सफेद रंग के कपड़े नहीं पहनने चाहिए। साथ ही इस रंग की चूड़ियां भी नहीं पहननी चाहिए। इसके साथ ही यह माना गया है कि वट सावित्री व्रत के दिन सुहागिनों महिलाओं को सुहाग की सामग्री दान करने से दांपत्य जीवन सुखमय बना रहता है।अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।