शुक्र का बल हो तो ऐसा व्यक्ति ऐशो-आराम में अपना जीवन बिताता है
एक ही ग्रह इस भचक्र में शामिल है,जिसे प्यार औकात का अधिकारी माना जाता है। शुक्र ग्रह को वैदिक अथवा पश्चिमी ज्योतिषाचार्यों ने स्त्री ग्रह का दर्जा दिया है।
By Preeti jhaEdited By: Updated: Fri, 18 Nov 2016 10:47 AM (IST)
सौरमंडल के नवग्रहों में शुक्र का महत्व अधिक है। आकाश में शुक्र ग्रह को आसानी से देखा जा सकता है। इसे संध्या और भोर का तारा भी कहते हैं, क्योंकि इस ग्रह का उदय आकाश में या तो सूर्योदय के पूर्व या संध्या को सूर्यास्त के पश्चात होता है। आकाश में सबसे तेज चमकदार तारा शुक्र ही है। ज्योतिष और वैज्ञानिकों मानना है कि शुक्र की किरणों का हमारे शरीर और जीवन पर अकाट्य प्रभाव पड़ता है।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण : शुक्र का व्यास 126000 किलोमीटर है और गुरुत्व शक्ति पृथ्वी के ही समान। इसे सूर्य की परिक्रमा पूरी करने में 225 दिन लगते हैं। शुक्र एवं सूर्य के बीच की दूरी वैज्ञानिकों ने लगभग 108000000 किलोमीटर मानी है।पुराणों अनुसार : पुराणों अनुसार शुक्र दानवों के गुरु हैं। इनके पिता का नाम कवि और इनकी पत्नी का नाम शतप्रभा है। दैत्य गुरु शुक्र दैत्यों की रक्षा करने हेतु सदैव तत्पर रहते हैं। ये बृहस्पति की तरह ही शास्त्रों के ज्ञाता, तपस्वी और कवि हैं। इन्हें सुंदरता का प्रतीक माना गया है।शुक्र के अस्त दिनों में भी शुभ कार्य वर्जित माने गए हैं। इसका कारण यह कि उक्त वक्त पृथ्वी का पर्यावरण शुक्र प्रभा से दूषित माना गया है। यह ग्रह पूर्व में अस्त होने के बाद 75 दिनों पश्चातपुन: उदित होता है। उदय के 240 दिन वक्री चलता है। इसके 23 दिन पश्चात अस्त हो जाता है। पश्चिम में अस्त होकर 9 दिन के पश्चात यह पुन: पूर्व दिशा में उदित होता है।
अशुभ की निशानी : शुक्र के साथ राहु का होना अर्थात स्त्री तथा दौलत का असर खत्म। यदि शनि मंदा अर्थात नीच का हो तब भी शुक्र का बुरा असर होता है। इसके अलावा भी ऐसी कई स्थितियाँ हैं जिससे शुक्र को मंदा माना गया है। अँगूठे में दर्द का रहना या बिना रोग के ही अँगूठा बेकार हो जाता है। त्वचा में विकार। गुप्त रोग। पत्नी से अनावश्यक कलह।
शुभ की निशानी : सुंदर शरीर वाला पुरुष या स्त्री में आत्मविश्वास भरपूर रहता है। स्त्रियाँ स्वत: ही आकर्षित होने लगती हैं। व्यक्ति धनवान और साधन-सम्पन्न होता है। कवि चरित्र, कामुक प्रवृत्ति यदि शनि मंद कार्य करे तो शुक्र साथ छोड़ देता है। शुक्र का बल हो तो ऐसा व्यक्ति ऐशो-आराम में अपना जीवन बिताता है। फिल्म या साहित्य में रुचि रहती है।उपाय : लक्ष्मी की उपासना करें। सफेद वस्त्र दान करें। भोजन का कुछ हिस्सा गाय, कौवे, और कुत्ते को दें। शुक्रवार का व्रत रखें। खटाई न खाएँ। दो मोती लेकर एक पानी में बहा दें और एक जिंदगीभर अपने पास रखें। स्वयं को और घर को साफ-सुथरा रखें और हमेशा साफ कपड़े पहनें। नित्य नहाएँ। शरीर को जरा भी गंदा न रखें। सुगन्धित इत्र या सेंट का उपयोग करें। पवित्र बने रहें। उक्त उपाय विशेषज्ञ से पूछ कर ही करें।लक्ष्मी का रूप शुक्रएक ही ग्रह इस भचक्र में शामिल है,जिसे प्यार औकात का अधिकारी माना जाता है। शुक्र ग्रह को वैदिक अथवा पश्चिमी ज्योतिषाचार्यों ने स्त्री ग्रह का दर्जा दिया है। शुक्र को वास्तव में स्त्री ग्रह का दर्जा तो दिया गया है,लेकिन इसका वास्तविक प्रभाव प्रत्येक जीवधारी में बराबर का मिलता है,पुरुष के अन्दर स्त्री अंगों की उपस्थिति भी इस ग्रह का भान करवाती है। जिस प्रकार से मंगल की गर्मी गुसा और उत्तेजना को पुरुष और स्त्री दोनो के अन्दर समान भाव में पाया जाना है,उसी प्रकार से शुक्र का प्रभाव स्त्री और पुरुष दोनो के अन्दर समान भाव में पाया जाता है।