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Vidur Niti: एक नायक और राजा को जल्द से जल्द कर देना चाहिए इन गुणों का त्याग

Vidur Niti विदुर नीति के माध्यम से महात्मा विदुर ने मनुष्य को जीवन प्राप्त करने के कई गुण बताए हैं। इन नीतियों का पालन करने से मनुष्य को लाभ मिलता है और उनकी सभी प्रकार की समस्याएं दूर हो जाती हैं और उन्हें सफलता की प्राप्ति होती है।

By Shantanoo MishraEdited By: Updated: Sat, 10 Dec 2022 04:29 PM (IST)
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Vidur Niti: विदुर नीति से जानिए कैसा व्यवहार बनाता है व्यक्ति को योग्य।

नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क डेस्क | Vidur Niti: महाभारत काल में ही महात्मा विदुर ने व्यक्ति को सफलता के कई गुणों से परिचित कराया था। वर्तमान समय भी विदुर नीति लाखों युवाओं का मार्गदर्शन कर रही है। बता दें कि विदुर नीति महात्मा विदुर और महाराज ध्रितराष्ट्र के बीच हुए महत्वपूर्ण संवाद का एक अंश है। जिसमें उन्होंने यह बताया था कि व्यक्ति को अपने जीवन में किस प्रकार का व्यवहार करना चाहिए और कैसे चरित्र का पालन करना चाहिए। इसके साथ उन्होंने बताया है कि एक राजा या नायक को अपने जीवन में कैसा व्यवहार त्याग देना चाहिए।

एक राजा को करना चाहिए इन गुणों का पालन (Vidur Niti in Hindi)

द्वविमौ ग्रसते भूमिः सर्पो बिलशयानिवं ।

राजानं चाविरोद्धारं ब्राह्मणं चाप्रवासिनम् ।।

इस श्लोक में महात्मा विदुर ने बताया है कि जिस प्रकार एक बिल में रहने वाले मेंढक या चूहा को सांप खा लेता है। ठीक उसी प्रकार शत्रुओं के प्रति विरोध न करने वाले राजा या परदेस में जाने से डरने वाले व्यक्ति को समय खा जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि हर समय बिल में रहने वाला जानवर अपनी आत्मरक्षा के गुण नहीं सीख पाता है और शत्रुओं का विरोध ना करने वाले राजा पर विरोधी खेमा अधिक हावी होने लगता है। इसलिए एक नायक इतना योग्य होना चाहिए कि वह किसी भी परिस्थिति में महत्वपूर्ण निर्णय ले सके। इसके साथ महात्मा विदुर ने यह भी बताया है कि बिल अर्थात अपने घर से न निकलने वाले व्यक्ति को देश और विदेश की कोई जानकारी नहीं रहती है। साथ ही उसकी रचनात्मकता खत्म होने लगती है। इसलिए एक व्यक्ति को किसी अन्य राज्य अथवा देश में जाने से नहीं घबराना चाहिए। क्योंकि ऐसा करने से व्यक्ति को कार्य के नए अवसर प्राप्त होते हैं और उसकी कुशलता के साथ-साथ आत्मबल में वृद्धि होती है।

द्वाविमौ पुरुषौ राजन स्वर्गस्योपरि तिष्ठत: ।

प्रभुश्च क्षमया युक्तो दरिद्रश्च प्रदानवान् ।।

विदुर नीति के इस श्लोक में महात्मा विदुर बता रहे हैं कि जो व्यक्ति सबसे शक्तिशाली होने बावजूद भी क्षमाशील होता है और निर्धन होंने पर भी दानवीर होता है। ऐसे ही व्यक्ति को स्वर्ग की प्राप्ति होती है। इसमें महात्मा विदुर बता रहे हैं कि बलवान होने यह मतलब नहीं कि वह हर किसी पर अपने बाल का गलत प्रयोग करे। जो व्यक्ति अपने बल का प्रयोग अपने राज्य की रक्षा के लिए और अपने समाज की उन्नति के लिए करता है, वही व्यक्ति श्रेष्ठ कहलाता है। इसके जो व्यक्ति धनवान न होते हुए भी अपने धन का कुछ हिस्सा किसी जरूरतमंद को दान करता है वैसा ही व्यक्ति हर समय सुखी रहता है और अंत में स्वर्ग प्राप्त करता है।

डिसक्लेमर- इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।