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Vikram Samvat 2080: आज से शुरू हुआ विक्रम संवत, जानें-हिंदू नववर्ष से जुड़ी रोचक बातें

Vikram Samvat 2080 विक्रम संवत को लेकर उत्तर भारत और दक्षिण भारत के पंचांग और विद्वानों में अंतर है। उत्तर भारत के जानकारों की मानें तो विक्रम संवत की शुरुआत चैत्र माह में शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को होती है।

By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Wed, 22 Mar 2023 07:36 PM (IST)
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Vikram Samvat 2080: आज से शुरू हुआ विक्रम संवत, जानें-हिंदू नववर्ष से जुड़ी रोचक बातें
नई दिल्ली, डिजिटल डेस्क | Vikram Samvat 2080: हिंदी पंचांग के अनुसार, हर वर्ष चैत्र माह में शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को हिंदू नववर्ष मनाया जाता है। इस प्रकार आज यानी 22 मार्च को हिन्दू नववर्ष है। आज से विक्रम संवत 2080 की भी शुरुआत हुई है। चैत्र माह में शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से लेकर नवमी तक चैत्र नवरात्रि मनाई जाती है। वहीं, नवरात्रि के अंतिम दिन रामनवमी मनाई जाती है। इस वर्ष 30 मार्च को रामनवमी है। विक्रम संवत को लेकर उत्तर भारत और दक्षिण भारत के पंचांग और विद्वानों में अंतर है। उत्तर भारत के जानकारों की मानें तो विक्रम संवत की शुरुआत चैत्र माह में शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को होती है। वहीं, दक्षिण भारत में विक्रम संवत की शुरुआत कार्तिक माह में शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को होती है। आइए, विक्रम संवत के बारे में सबकुछ जानते हैं-

कब शुरू हुई विक्रम संवत ?

इतिहासकारों की मानें तो विक्रम संवत की शुरुआत महान सम्राट विक्रमादित्य ने की है। उन्होंने ईसा पूर्व 57 में शकों को परास्त करने के पश्चात विक्रम संवत की शुरुआत की थी। ऐसा भी कहा जाता है कि महान सम्राट विक्रमादित्य मां दुर्गा के अनन्य भक्त थे और नवरात्रि में मां की विशेष पूजा अर्चना करते थे। इसके लिए चैत्र नवरात्रि के प्रथम दिन विक्रम संवत की शुरुआत हुई है।

साथ ही नवरात्रि के नौ दिनों तक ग्रहों पर तार्किक संगोष्ठी का भी आयोजन किया जाता था। महान सम्राट विक्रमादित्य स्वयं ज्ञाता थे। उन्हें सनातन धर्म का विशेष ज्ञान प्राप्त था। इसके लिए वे ग्रहों पर अपना तर्क देते थे। सम्राट का नाम विक्रम और आदित्य से मिलकर बना है। इसका अर्थ 'सूर्य के समान पराक्रम' है। अंग्रेजी कैलेंडर से विक्रम संवत 57 वर्ष आगे है। विक्रम संवत की सटीक गणना में ज्योतिषाचार्य वराहमिहिर ने अहम भूमिका निभाई थी।

सम्राट विक्रमादित्य के नौ रत्नों में एक रत्न ज्योतिषाचार्य वराहमिहिर थे। उन्होंने कई ज्योतिष ग्रंथों की रचना की है। आज भी ये ज्योतिष ग्रंथ प्रासंगिक हैं। विक्रम संवत सूर्य और चंद्र गति के आधार पर चलती है। इसके लिए विज्ञान ने भी विक्रम संवत को प्रमाणिक माना है। हिंदी पंचांग में पर्व, त्योहार की तारीख, तिथि और मुहूर्त विक्रम संवत के आधार पर ज्ञात की जाती हैं।