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Vikram samvat: किस राजा के पराक्रम की निशानी है विक्रम संवत? शक संवत से कैसे है अलग?

Vikram samvat हिंदू पंचांग में पर्व त्योहार की तारीख तिथि और मुहूर्त विक्रम संवत के आधार पर ज्ञात की जाती हैं। विक्रम संवत सूर्य और चंद्र गति के आधार पर चलती है। इसके लिए विज्ञान ने भी विक्रम संवत को प्रमाणिक माना है। आइए जानते हैं कि विक्रम संवत की शुरुआत कैसे हुई और यह शक संवत से किस प्रकार अलग है।

By Suman SainiEdited By: Suman SainiUpdated: Fri, 28 Jul 2023 01:59 PM (IST)
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Vikram samvat जानिए क्या है विक्रम संवत।
नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क। Vikram samvat: विक्रम संवत हिंदुओं के लिए एक ऐतिहासिक कैलेंडर है। यह एक प्रचलित हिन्दू पंचांग है। इस पंचांग के आधार पर भारत के उत्तरी, पश्चिमी और मध्य भाग में व्रत और त्योहार आदि मनाए जाते हैं। विक्रम संवत से पहले युधिष्ठिर संवत, कलियुग संवत और सप्तर्षि संवत भी प्रचलित रहे हैं।

कैसे पड़ा विक्रम संवत नाम

राजा विक्रमादित्य बहुत ही न्यायप्रिय और अपनी प्रजा का हित चाहने वाले राजा थे। उन्होंने शकों के अत्याचार से कई राज्यों को मुक्त कराया था और अपना शासन स्थापित किया था। इसी विजय की स्मृति के रूप में राजा विक्रमादित्य ने विक्रम संवत पंचांग का निर्माण करवाया था। विक्रम संवत उस दिन पर आधारित है जब सम्राट विक्रमादित्य ने शकों को हराया, उज्जैन पर आक्रमण किया और एक नए युग का आह्वान किया। इस संवत को नेपाल में भी मान्यता दी जाती है। इस संवत के निर्माण के 78 साल बाद शक संवत का आरम्भ हुआ।

कैसे काम करता है विक्रम संवत

हिंदू कैलेंडर का पहला महीना चैत्र और आखिरी महीना फाल्गुन होता है। चैत्र नवरात्रि की शुरुआत से ही हिंदू नववर्ष का आरंभ हो जाता है।  हर साल चैत्र प्रतिपदा तिथि से नया विक्रम संवत शुरू हो जाता है। विक्रम संवत का आरंभ 57 ईस्वी पूर्व हुआ था इसलिए हिंदू विक्रम संवत अंग्रेजी कैलेंडर के वर्ष से 57 वर्ष आगे चलता है। विक्रम संवत कैलेंडर चंद्र आधारित है। हिंदू कैलेंडर में कुल 12 माह होते हैं जो इस प्रकार है- चैत्र, वैशाख, ज्येष्ठ, आषाढ़, श्रावण, भाद्रपद, अश्विन, कार्तिक, मार्गशीर्ष, पौष, माघ और फाल्गुन।

हिंदू कैलेंडर के सभी महीने नक्षत्र के नाम पर रखे गए हैं। पूर्णिमा तिथि पर जो नक्षत्र रहता है उसी नक्षत्र के नाम पर हिंदी महीनों के नाम रखे गए हैं। जैसे चैत्र का महीना चित्रा नक्षत्र के नाम पर रखा गया इसी प्रकार वैशाख, विशाखा के नाम पर है तो वहीं, ज्येष्ठ महीने ज्येष्ठा नक्षत्र के नाम पर रखा गया है। हर महीना कृष्ण और शुक्ल पक्ष के आधार पर दो भागों में विभाजित किया गया है। विक्रम संवत में एक साल में कुल 354 दिन माने गए हैं।

शक संवत और विक्रम संवत में अंतर

शक संवत-  शक संवत को सरकारी मान्यता प्राप्त है। इसका आरंभ विक्रम संवत के बाद हुआ। शक संवत का नया महीना अमावस्या के बाद शुक्ल पक्ष से शुरू होता है। यह अंग्रेजी कैलेंडर से 78 वर्ष पीछे है। अर्थात अभी शक संवत के अनुसार, 1945 शक संवत चल रहा है।

विक्रम संवत- विक्रम संवत का नया महीना पूर्णिमा के बाद आने वाली कृष्ण पक्ष से होता है। यह संवत अंग्रेजी कैलेंडर से 57 वर्ष आगे है। अर्थात अभी 2080 विक्रम संवत चल रहा है।

डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'