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भारतीय सेनाओं में जोश भर देते हैं ये आदर्श वाक्य, जानिए किन वेद-उपनिषदों से लिया गया है इन्हें

Indian Armed Forces Motto भारतीय सेना की हर एक शाखा का अपना एक वाक्य है। कुछ शब्दों से बने इन सभी वाक्यों का अपना मतलब है जो उस सेना की पहचान है। जानिए यह वाक्य किन-किन शास्त्रों से लिए गए हैं।

By Shivani SinghEdited By: Updated: Fri, 02 Sep 2022 06:53 PM (IST)
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भारतीय सेनाओं में जोश भर देते हैं ये आदर्श वाक्य, जानिए किन वेद- उपनिषदों से लिया गया है इन्हें
नई दिल्ली, Indian Armed Forces Motto: आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारतीय नौसेना के पहले स्वदेशी विमान वाहक जहाज़ विक्रांत का जलावतरण किया है। लेकिन क्या आप इस बात को जानते हैं कि विक्रांत का नाम के साथ इसका ध्येय वाक्य हमारे शास्त्रों से लिया गया है। जी हां, विक्रांत का अर्थ है साहसी, धौर्य, शूर वीर है। जो विजेताओं पर भी जीत हासिल कर लें वो है विंक्रात। भारत की जल सेना ही नहीं शक्तिशाली है बल्कि थल, वायु सेना भी किसी से कम नहीं है। भारतीय सेना की हर एक शाखा का अपना अलग-अलग ध्येय वाक्य है। जो वेद शास्त्रों के कई श्लोकों में से कुछ शब्द लिए गए हैं। हर एक ध्येयय वाक्य व्यक्ति के अंदर जोश भर देता है। जानिए भारतीय सेना की हर शाखा में जो ध्येय वाक्य है वो किस शास्त्र से लिए गए हैं।

1- आईएनएस विक्रांत

विक्रांत जहाज श्रीमद्भगवद्गीता (1.6) में पांचाल योद्धा युधामन्यु को विक्रांत कहा गया है। गीता में कहा गया है, 'युधामन्युश्च विक्रांत उत्तमौजाश्च वीर्यवान्।'

विक्रांत का ध्यान वाक्य

जयेम सं युधि स्पृधः

इसका अर्थ है कि हम युद्ध में शत्रुओं पर पूर्ण विजय पाएं। यह ध्येय वाक्य ऋग्वेद (1.8.3) से लिया गया है। इस श्लोक के माध्यन से मधुछंदव वैश्नामित्र, भगवान इंद3 से विजयदिलाने के लिए प्रार्थना करते हैं। .ह श्लोक इल प्रकार है- इन्द्र त्वोतास आ वयं वज्रं घना ददीमहि|

जयेम सं युधि स्पृधः ||

2- भारतीय वायु सेना- 'नभस्पर्शं दीप्तम्'।

'नभस्पर्शं दीप्तम्' का अर्थ है गर्व से आकाश को छुओ। श्रीमद् भगवद्गीता के 11वें अध्याय के मूल श्लोक सेृ लिया गया है, जो कि पूरे श्लोक का 2 शब्द है। यह श्लोक उस समय का है जब महाभारत के युद्ध के दौरान कुरक्षेत्र की भूमि में भगवान कृष्ण ने अर्जुन को उपदेश दिया था।

पूरा श्लोक इस तरह है-

नभःस्पृशं दीप्तमनेकवर्णं

व्यात्ताननं दीप्तविशालनेत्रम्।

दृष्ट्वा हि त्वां प्रव्यथितान्तरात्मा

धृतिं न विन्दामि शमं च विष्णो।।

3- भारतीय नौसेना - शन्नो वरुणः'

शन्नो वरुणः' का अर्थ है समुद्र के देवता हम पर कृपा करो। यह शब्द तैतैत्तिरीयोपनिषद् की प्रार्थना से लिया गया है जो इस प्रकार है-

ॐ शं नो मित्रः शं वरुणः । शं नो भवत्वर्यमा । शं नो इन्द्रो बृहस्पतिः । शं नो विष्णुरुरुक्रमः । नमो ब्रह्मणे । नमस्ते वायो । त्वमेव प्रत्यक्षं बह्मासि । त्वामेव प्रत्यक्षं ब्रह्म वदिष्यामि । ऋतं वदिष्यामि । सत्यं वदिष्यामि । तन्मामवतु । तद्वक्तारमवतु । अवतु माम । अवतु वक्तारम् ।

ॐ शान्तिः । शान्तिः । शान्तिः ।

4- आर्मी मेडिकल कॉर्प्स - 'सर्वे सन्तु निरामया'

'सर्वे सन्तु निरामया का अर्थ है सभी रोग से मुक्ति मिले। यह वाक्य वृहदारण्यक उपनिषद् में से लिया गया है। जो इस प्रकार है-

सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामया।

सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चित् दुःखभाग् भवेत्।।

इस श्लोक का अर्थ है सभी सुखी रहें, सभी रोगमुक्त रहें, सभी मंगलमय के साक्षी बनें और किसी को भी दुःख का भागी न बनना पड़े।

5- भारतीय सेना के मद्रास रेजिमेंट - 'स्वधर्मे निधनं श्रेयः'

'स्वधर्मे निधनं श्रेयः' ध्येय वाक्य का अर्थ है सेवा करते समय मरना गर्व की बात है। यह वाक्य श्रीमद् भगवद्गीता से तीसरे अध्याय से लिया गया है। जो इस प्रकार है

यान्स्वधर्मो विगुणः परधर्मात्स्वनुष्ठितात्।

स्वधर्मे निधनं श्रेयः परधर्मो भयावहः

6- राजपुताना राइफल्स - 'वीर भोग्य वसुंधरा'

इस ध्येय वाक्य का अर्थ है - जो वीर है, वही पृथ्वी पर राज करेगा।

श्रीमद् भगवद्गीता में महाभारत के युद्ध के दौरान भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को यह श्लोक सुनाया था जो इस प्रकार है-  न ही लक्ष्मी कुलक्रमज्जता, न ही भूषणों उल्लेखितोपि वा। खड्गेन आक्रम्य भुंजीत:, वीर भोग्या वसुंधरा।।

7- गढ़वाल राइफल्स का ध्येय वाक्य- 'युद्धाय कृत निश्चय'

इस वाक्य का र्थ है - युद्ध का निश्चय करो।

यह पंक्ति गीता के श्लोक से ली गई है -

हतो वा प्राप्स्यसि स्वर्गं जित्वा वा भोक्ष्यसे महीम् ।

तस्मादुत्तिष्ठ कौन्तेय युद्धाय कृतनिश्चयः ॥