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Vinayak Chaturthi 2024: विनायक चतुर्थी पर पूजा के समय करें इन मंत्रों का जाप, सभी संकटों से मिलेगी निजात

धार्मिक मान्यता है कि विनायक चतुर्थी पर भगवान गणेश की पूजा करने से सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है। साथ ही मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। इस व्रत के पुण्य प्रताप से कुंडली में चंद्रमा और बुध ग्रह भी मजबूत होते हैं। अगर आप भी अपने जीवन में व्याप्त संकटों से निजात पाना चाहते हैं तो विनायक चतुर्थी पर विधि-विधान से भगवान गणेश की पूजा करें।

By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Wed, 10 Jan 2024 01:02 PM (IST)
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Vinayak Chaturthi 2024: विनायक चतुर्थी पर पूजा के समय करें इन मंत्रों का जाप, सभी संकटों से मिलेगी निजात

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Vinayak Chaturthi 2024: विनायक चतुर्थी भगवान गणेश को समर्पित होता है। इस दिन विधि-विधान से सिद्धिविनायक भगवान गणेश की पूजा-अर्चना की जाती है। साथ ही उनके निमित्त व्रत-उपवास रखा जाता है। पौष महीने की विनायक चतुर्थी 14 जनवरी को मनाई जाएगी। धार्मिक मान्यता है कि विनायक चतुर्थी पर भगवान गणेश की पूजा करने से सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है। साथ ही मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। इस व्रत के पुण्य प्रताप से कुंडली में चंद्रमा और बुध ग्रह भी मजबूत होते हैं। अगर आप भी अपने जीवन में व्याप्त संकटों से निजात पाना चाहते हैं, तो विनायक चतुर्थी पर विधि-विधान से भगवान गणेश की पूजा करें। साथ ही पूजा के समय इन मंत्रों का जाप करें।

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1. वक्रतुण्ड महाकाय सूर्य कोटि समप्रभ ।

निर्विघ्नं कुरू मे देव, सर्व कार्येषु सर्वदा ॥

2. ऊँ एकदन्ताय विहे वक्रतुण्डाय धीमहि तन्नो दन्तिः प्रचोदयात् ॥

3. ॐ एकदंताय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात् ॥

ॐ महाकर्णाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात् ॥

ॐ गजाननाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात् ॥

4. गणपतिर्विघ्नराजो लम्बतुण्डो गजाननः ।

द्वैमातुरश्च हेरम्ब एकदन्तो गणाधिपः ॥

विनायकश्चारुकर्णः पशुपालो भवात्मजः ।

द्वादशैतानि नामानि प्रातरुत्थाय यः पठेत्‌ ॥

विश्वं तस्य भवेद्वश्यं न च विघ्नं भवेत्‌ क्वचित्‌ ।

5. ॐ वक्रतुण्डैक दंष्ट्राय क्लीं ह्रीं श्रीं गं गणपते वर वरद सर्वजनं मे वशमानय स्वाहा।

6. “ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं चिरचिर गणपतिवर वर देयं मम वाँछितार्थ कुरु कुरु स्वाहा ।”

7. श्रीगणेशमन्त्रस्तोत्रम्

शृणु पुत्र महाभाग योगशान्तिप्रदायकम् ।

येन त्वं सर्वयोगज्ञो ब्रह्मभूतो भविष्यसि ॥

चित्तं पञ्चविधं प्रोक्तं क्षिप्तं मूढं महामते ।

विक्षिप्तं च तथैकाग्रं निरोधं भूमिसज्ञकम् ॥

तत्र प्रकाशकर्ताऽसौ चिन्तामणिहृदि स्थितः ।

साक्षाद्योगेश योगेज्ञैर्लभ्यते भूमिनाशनात् ॥

चित्तरूपा स्वयंबुद्धिश्चित्तभ्रान्तिकरी मता ।

सिद्धिर्माया गणेशस्य मायाखेलक उच्यते ॥

अतो गणेशमन्त्रेण गणेशं भज पुत्रक ।

तेन त्वं ब्रह्मभूतस्तं शन्तियोगमवापस्यसि ॥

इत्युक्त्वा गणराजस्य ददौ मन्त्रं तथारुणिः ।

एकाक्षरं स्वपुत्राय ध्यनादिभ्यः सुसंयुतम् ॥

तेन तं साधयति स्म गणेशं सर्वसिद्धिदम् ।

क्रमेण शान्तिमापन्नो योगिवन्द्योऽभवत्ततः ॥

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