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Vinayak Chaturthi 2024 Date: कब है साल 2024 की पहली विनायक चतुर्थी? नोट करें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

चतुर्थी महीने में दो बार आती है शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष में। पौष माह के शुक्ल पक्ष में आने वाली चतुर्थी को विनायक चतुर्थी के नाम से जाना जाता है। विनायक चतुर्थी के अवसर पर भगवान गणेश की पूजा-अर्चना करने से साधक को उत्तम फल की प्राप्ति होती है और घर में खुशियों का आगमन होता है। साथ ही गणपति बप्पा प्रसन्न होते हैं।

By Jagran News Edited By: Pravin KumarUpdated: Fri, 05 Jan 2024 12:34 PM (IST)
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Vinayak Chaturthi 2024 Date: कब है साल 2024 की पहली विनायक चतुर्थी, नोट करें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
धर्म डेस्क, नई दिल्ली।Vinayak Chaturthi 2024: सनातन धर्म में विनायक चतुर्थी का अहम महत्व है। इस अवसर पर भगवान गणेश की पूजा-व्रत करने का विधान है। चतुर्थी महीने में दो बार आती है, शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष में। पौष माह के शुक्ल पक्ष में आने वाली चतुर्थी को विनायक चतुर्थी के नाम से जाना जाता है। विनायक चतुर्थी के अवसर पर भगवान गणेश की विधिपूर्वक पूजा-अर्चना करने से साधक को उत्तम फल की प्राप्ति होती है और घर में खुशियों का आगमन होता है। चलिए जानते हैं साल 2024 की पहली विनायक चतुर्थी की डेट, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में।

विनायक चतुर्थी की डेट और शुभ मुहूर्त

पंचांग के अनुसार, पौष माह की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि की शुरुआत 14 जनवरी 2024 को सुबह 7 बजकर 59 मिनट से होगी और इस तिथि का समापन इसके अगले दिन यानी 15 जनवरी 2024 दिन सोमवार को सुबह 4 बजकर 59 मिनट पर तिथि का समापन होगा। पंचांग के मुताबिक, पौष माह में विनायक चतुर्थी का पर्व 14 जनवरी 2024 को मनाया जाएगा।

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विनायक चतुर्थी पूजा विधि

  • विनायक चतुर्थी के दिन सुबह ब्रह्म बेला में उठें।
  • इस दिन की शुरुआत गणपति बप्पा के ध्यान से करें।
  • इसके बाद गंगाजल मिश्रित जल से स्नान करें और पीले वस्त्र धारण करें।
  • मंदिर की साफ-सफाई करें और गंगाजल का छिड़काव कर शुद्ध करें और अब सूर्य देव को जल दें।
  • इसके बाद एक चौकी पर पीला वस्त्र बिछाकर भगवान गणेश की प्रतिमा विराजमान करें।
  • अब कलश स्थापित करें और विधिपूर्वक भगवान गणेश की पूजा-अर्चना करें।
  • गणपति बप्पा को मोदक, कुमकुम, अक्षत, चंदन, फूल और मोदक चढ़ाएं।
  • गणेश चालीसा का पाठ और भगवान गणेश के मंत्रों का जाप करें या सुनें ।
  • संध्याकाल में आरती करें और प्रसाद का वितरण करें।
  • अब फलाहार करें और अगले दिन पूजा करने के बाद व्रत का पारण करें।
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Author- Kaushik Sharma

डिस्क्लेमर- ''इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना में निहित सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्म ग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारी आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना के तहत ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।