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Vinayak Chaturthi 2024: दिसंबर महीने में कब है विनायक चतुर्थी? जानें, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

सनातन धर्म में चतुर्थी तिथि (Vinayak Chaturthi 2024) का विशेष महत्व है। इस शुभ तिथि पर भगवान गणेश की पूजा की जाती है। भगवान गणेश की पूजा करने से जीवन में व्याप्त सभी प्रकार के दुख एवं संकट दूर हो जाते हैं। साथ ही साधक को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। विनायक चतुर्थी पर भगवान गणेश को प्रसन्न करने के लिए विशेष उपाय भी किए जाते हैं।

By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Sat, 23 Nov 2024 04:57 PM (IST)
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Vinayak Chaturthi 2024: विनायक चतुर्थी का धार्मिक महत्व
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हर माह शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि से एक दिन पूर्व विनायक चतुर्थी (Vinayak Chaturthi 2024) मनाई जाती है। यह दिन भगवान गणेश को समर्पित होता है। इस दिन भगवान गणेश की विशेष पूजा की जाती है। साथ ही मनोवांछित फल की प्राप्ति के लिए चतुर्थी का व्रत रखा जाता है। इस व्रत को करने से जीवन में व्याप्त सभी प्रकार के दुख एवं संकट दूर हो जाते हैं। इसके साथ ही कुंडली में बुध ग्रह मजबूत होता है। इस शुभ अवसर पर साधक श्रद्धा भाव से रिद्धि-सिद्धि के दाता भगवान गणेश की पूजा करते हैं। आइए, शुभ मुहूर्त एवं योग जानते हैं-

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विनायक चतुर्थी शुभ मुहूर्त (Vinayak Chaturthi Shubh Muhurat)

पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि 04 दिसंबर को दोपहर 01 बजकर 10 मिनट पर शुरू होगी। वहीं, इसका समापन 05 दिसंबर को दोपहर 12 बजकर 49 मिनट पर होगा। इस दिन चन्द्रास्त का समय रात 09 बजकर 07 मिनट है। साधक 05 दिसंबर को विनायक चतुर्थी का व्रत रख सकते हैं।

योग

मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि पर वृद्धि योग का निर्माण हो रहा है। इस योग का समापन दोपहर 12 बजकर 28 मिनट पर हो रहा है। इसके पश्चात ध्रुव योग का संयोग बन रहा है। इसके साथ ही विनायक चतुर्थी पर रवि योग का भी निर्माण हो रहा है। रवि योग शाम 05 बजकर 26 मिनट तक है। वहीं, दुर्लभ भद्रावास का भी संयोग विनायक चतुर्थी पर बन रहा है। इन योग में भगवान गणेश की पूजा करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होगी। साथ ही सुख और सौभाग्य में वृद्धि होगी।

पंचांग

सूर्योदय - सुबह 07 बजे...

सूर्यास्त - शाम 05 बजकर 24 मिनट पर

चन्द्रोदय- सुबह 10 बजकर 35 मिनट पर

चंद्रास्त-  रात 09 बजकर 07 मिनट पर

ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 05 बजकर 11 मिनट से 06 बजकर 05 मिनट तक

विजय मुहूर्त - दोपहर 01 बजकर 56 मिनट से 02 बजकर 37 मिनट तक

गोधूलि मुहूर्त - शाम 05 बजकर 21 मिनट से 05 बजकर 49 मिनट तक

निशिता मुहूर्त - रात्रि 11 बजकर 45 मिनट से 12 बजकर 39 मिनट तक

पूजा विधि

मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि पर प्रातः काल ब्रह्म मुहूर्त में उठें। इस समय भगवान गणेश का ध्यान कर उन्हें प्रणाम करें। इसके बाद घर की साफ-सफाई करें। अब दैनिक कार्यों से निपटने के बाद गंगाजल युक्त पानी से स्नान करें। इसके बाद आचमन कर पीले रंग का वस्त्र धारण करें। अब सबसे पहले सूर्य देव को जल का अर्घ्य दें। इसके बाद पंचोपचार कर विधि-विधान से भगवान गणेश की पूजा करें। पूजा के समय भगवान गणेश को मोदक, दूर्वा, हल्दी, पीले रंग का वस्त्र आदि चीजें अर्पित करें। अंत में आरती कर भगवान गणेश से सुख, समृद्धि एवं धन की कामना करें।  

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।