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Vishwakarma Puja 2020: जानें अब तक 17 सितंबर को ही क्यों की जाती रही है विश्वकर्मा पूजा

Vishwakarma Puja 2020 हिंदू धर्म में हम सभी हर त्यौहार को तिथि के मुताबिक मनाते हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार ही हम सभी अपने त्यौहार को मनाया जाता है।

By Shilpa SrivastavaEdited By: Updated: Thu, 17 Sep 2020 07:40 AM (IST)
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Vishwakarma Puja 2020: जानें अब तक 17 सितंबर को ही क्यों की जाती रही है विश्वकर्मा पूजा

Vishwakarma Puja 2020: हिंदू धर्म में हम सभी हर त्यौहार को तिथि के मुताबिक मनाते हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार ही हम सभी अपने त्यौहार को मनाया जाता है। लेकिन विश्वकर्मा जयंती उन चंद त्यौहारों में से ऐसी है जिस हमेशा से ही 17 सितंबर को मनाया जाता है। इस दिन पूजा करने से व्यापारियों को विशेष फल की प्राप्ति होती है। लेकिन इस वर्ष यह विश्वकर्मा पूजा 16 सितंबर को पड़ रही है। ऐसे में एक सवाल तो यह भी बनता है कि आखिर हर वर्ष विश्वकर्मा पूजा एक ही दिन यानी 17 सितंबर को ही क्यों मनाई जाती है। इसके पीछे कारण क्या है। तो आइए आपको हम आपके सवाल का जवाब इस आर्टिकल में देते हैं।

जानें हर वर्ष 17 सितंबर को ही क्यों मनाई जाती है विश्वकर्मा जयंती:

इस जयंती को लेकर कई मान्यताएं प्रसिद्ध हैं। मान्यता है कि अश्विन कृष्णपक्ष की प्रतिपदा तिथि को भगवान विश्वकर्मा का जन्म हुआ था। लेकिन कुछ लोगों का मानना यह भी है कि भाद्रपद की अंतिम तिथि को विश्वकर्मा पूजा करना बेहद शुभ होता है। ऐसे में सूर्य के पारगमन के मुताबिक ही विश्वकर्मा पूजा के मुहूर्त को तय किया जाता है। यही कारण है कि विश्वकर्मा जयंती 17 सितंबर को मनाई जाती है। आइए जानते हैं आखिर कौन हैं विश्वकर्मा भगवान।

कौन हैं भगवान विश्वकर्मा:

हिंदू मान्यताओं के अनुसार, प्राचीन काल में देवताओं के महल और अस्त्र-शस्त्र विश्वकर्मा भगवान ने ही बनाया था। इन्हें निर्माण का देवता कहा जाता है। मान्यता है कि भगवान कृष्ण की द्वारिका नगरी, शिव जी का त्रिशूल, पांडवों की इंद्रप्रस्थ नगरी, पुष्पक विमान, इंद्र का व्रज, सोने की लंका को भी विश्वकर्मा भगवान ने बनाया था। अत: इसी श्रद्धा भाव से किसी कार्य के निर्माण और सृजन से जुड़े हुए लोग विश्वकर्मा भगवान की पूजा-अर्चना करते हैं।

डिस्क्लेमर-

''इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना में निहित सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है. विभिन्स माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्म ग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारी आप तक पहुंचाई गई हैं. हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना के तहत ही लें. इसके अतिरिक्त इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी. ''