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Vishwakarma Puja 2024: विश्वकर्मा पूजा कब और क्यों मनाई जाती है? जानें इसके पीछे की वजह

भगवान ब्रह्मा की सातवीं संतान भगवान विश्वकर्मा को माना जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार भगवान विश्वकर्मा ने महलों हथियारों और सिंहासनों का निर्माण किया था। इसलिए भगवान विश्वकर्मा को वास्तुकार कहा जाता है। विश्वकर्मा पूजा (Vishwakarma Puja 2024) के दिन कामकाजी लोग अपने बेहतर भविष्य सुरक्षित कामकाजी परिस्थितियों के लिए सच्चे मन से पूजा-अर्चना करते हैं। आइए जानते हैं विश्वकर्मा जयंती से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें।

By Kaushik Sharma Edited By: Kaushik Sharma Updated: Tue, 17 Sep 2024 09:48 AM (IST)
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Vishwakarma Puja 2024: विश्वकर्मा पूजा का महत्व
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हर साल भगवान विश्वकर्मा पूजा का पर्व बहुत ही उत्साह के साथ मनाया जाता है। कन्या संक्रांति के दिन भगवान विश्वकर्मा की विधिपूर्वक पूजा-अर्चना की जाती है। साथ ही फल, मिठाई समेत आदि चीजों का भोग लगाया जाता है। इस खास अवसर पर लोग अपने वाहन, मशीन और औजार आदि की उपासना करते हैं। क्या आपको पता है कि विश्वकर्मा पूजा (Vishwakarma Puja 2024) का त्योहार क्यों मनाया जाता है। अगर नहीं पता, तो आइए जानते हैं इसके बारे में विस्तार से।

कब है विश्वकर्मा पूजा

पंचांग के अनुसार, 16 सितंबर को शाम को 07 बजकर 53 मिनट पर सूर्य देव कन्या राशि में प्रवेश कर चुके हैं। ऐसे में आज यानी 17 सितंबर (Vishwakarma Jayanti 2024 Date) विश्वकर्मा पूजा का पर्व मनाया जा रहा है। इस दिन अनंत चतुर्दशी और गणेश विसर्जन का पर्व मनाया जा रहा है।

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ये है वजह

धार्मिक मान्यता है कि कन्या संक्रांति के दिन भगवान विश्वकर्मा (Vishwakarma Puja History) का अवतरण हुआ था। इसी वजह से इस दिन को विश्वकर्मा जयंती के रूप में मनाया जाता है। भगवान विश्वकर्मा को स्वर्ग लोक, पुष्पक विमान, कुबेरपुरी जैसे सभी देवनगरी का रचनाकार कहा जाता है। इसके अलावा भगवान विश्वकर्मा ने सोने की लंका और भगवान श्रीकृष्ण के लिए द्वारका नगरी का निर्माण किया था। धार्मिक मान्यता है कि इस शुभ अवसर पर भगवान विश्वकर्मा की विधिपूर्वक पूजा-अर्चना करने से जातक को कार्यक्षेत्र में आ रही बाधा से मुक्ति मिलती है और बिज़नेस में अपार सफलता प्राप्त होती है।

मान्यता है कि भगवान विश्वकर्मा की पूजा के दौरान मंत्रों जप न करने से साधक शुभ फल की प्राप्ति से वंचित रहता है। इसलिए निम्न मंत्रों का जप करना बिल्कुल भी न भूलें।

स्तुति मंत्र:

नमस्ते विश्वकर्माय, त्वमेव कर्तृता सदा।

शिल्पं विधाय सर्वत्र, त्वं विश्वेशो नमो नमः।।

पूजा मंत्र:

ॐ आधार शक्तपे नमः,

ॐ कूमयि नमः,

ॐ अनंतम नमः,

ॐ पृथिव्यै नमः,

ॐ विश्वकर्मणे नमः।।

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।