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Vishwakarma Puja 2024: विश्वकर्मा पूजा के दिन इन कार्यों से बनाएं दूरी, जानें क्या करें और क्या न करें?

हर साल कन्या संक्रांति के दिन पर विश्वकर्मा पूजा (Vishwakarma Puja 2024) का पर्व मनाया जाता है। इस दिन लोग भगवान विश्वकर्मा के संग औजारों या मशीनों की पूजा-अर्चना करते हैं। इसके बाद ब्राह्मणों और गरीबों में श्रद्धा अनुसार दान जरूर चाहिए। मान्यता है कि इन शुभ कार्यों को करने से जातक को बिज़नेस में कोई समस्या नहीं आती है और कारोबार में वृद्धि होती है।

By Kaushik Sharma Edited By: Kaushik Sharma Updated: Tue, 17 Sep 2024 01:43 PM (IST)
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Lord Vishwakarma: विश्वकर्मा पूजा के दिन इन गलतियों को करने से बचें (Pic Credit- freepik)

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। पंचांग के अनुसार, पौराणिक काल के प्रथम इंजीनियर और वास्तुकार भगवान विश्वकर्मा की जयंती आज यानी 17 सितंबर को मनाई जा रही है। इस दिन भगवान विश्वकर्मा का अवतरण हुआ था। इसलिए शुभ दिन पर भगवान विश्वकर्मा (Vishwakarma Puja 2024) की पूजा-अर्चना करने का विधान है। भगवान विश्वकर्मा को शिल्पकार और वास्तुकार कहा जाता है। इसके अलावा उन्हें सृष्टि के सृजनकर्ता के नाम से जाना जाता है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन कुछ गलतियों को करने से साधक को जीवन में कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इसलिए इस दिन कुछ गलतियों को करने से बचना चाहिए। आइए जानते हैं विश्वकर्मा पूजा के दिन क्या करें (Vishwakarma Puja 2024 kya karein) और क्या न करें।

विश्वकर्मा पूजा के दिन क्या करें?

  • विश्वकर्मा जयंती के दिन भगवान विश्वकर्मा की पूजा करनी चाहिए।  
  • फल, मिठाई, दूध, दही समेत आदि चीजों का भोग लगाना चाहिए।
  • गरीब लोगों में श्रद्धा अनुसार दान करना चाहिए।  
  • भगवान विश्वकर्मा के मंत्रों का जप करना चाहिए।
  • औजारों और मशीनों की विशेष पूजा करें।

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विश्वकर्मा पूजा के दिन क्या न करें?

  • घर को गंदा न रखें।
  • किसी के प्रति मन में गलत न सोचें।
  • बड़े बुजुर्गों और महिलाओं का अपमान न करें।
  • सुबह की पूजा करने के बाद दिन में न सोएं।
  • औजारों और मशीनों प्रयोग न करें।

पूजा के दौरान जरूर करें भगवान विश्वकर्मा की ये आरती

।।विश्वकर्मा जी की आरती।।

ॐ जय श्री विश्वकर्मा, प्रभु जय श्री विश्वकर्मा।

सकल सृष्टि के कर्ता, रक्षक श्रुति धर्मा॥ ॐ जय…

आदि सृष्टि में विधि को श्रुति उपदेश दिया।

जीव मात्रा का जग में, ज्ञान विकास किया॥ ॐ जय…

ऋषि अंगिरा ने तप से, शांति नहीं पाई।

ध्यान किया जब प्रभु का, सकल सिद्धि आई॥ ॐ जय…

रोग ग्रस्त राजा ने, जब आश्रय लीना।

संकट मोचन बनकर, दूर दुःख कीना॥ ॐ जय…

जब रथकार दंपति, तुम्हरी टेर करी।

सुनकर दीन प्रार्थना, विपत हरी सगरी॥ ॐ जय…

एकानन चतुरानन, पंचानन राजे।

त्रिभुज चतुर्भुज दशभुज, सकल रूप सजे॥ ॐ जय…

ध्यान धरे जब पद का, सकल सिद्धि आवे।

मन दुविधा मिट जावे, अटल शक्ति पावे॥ ॐ जय…

'श्री विश्वकर्मा जी' की आरती, जो कोई नर गावे।

कहत गजानंद स्वामी, सुख संपति पावे॥ ॐ जय…

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।