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Vishwakarma Puja Katha: इस तरह हुई थी भगवान विश्वकर्मा का जन्म, पढ़ें पौराणिक कथा

Vishwakarma Puja Katha अश्विन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को ऋषि विश्वकर्मा की पूजा की जाती है। यह पूजा आज यानी 16 सितंबर को की जा रही है।

By Shilpa SrivastavaEdited By: Updated: Wed, 16 Sep 2020 08:30 AM (IST)
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Vishwakarma Puja Katha: इस तरह हुई थी भगवान विश्वकर्मा का जन्म, पढ़ें पौराणिक कथा
Vishwakarma Puja Katha: अश्विन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को ऋषि विश्वकर्मा की पूजा की जाती है। यह पूजा आज यानी 16 सितंबर को की जा रही है। इस दिन पूजा करने से व्यापारियों को विशेष फल की प्राप्ति होती है। मान्यता है कि इस दिन भगवान विश्वकर्मा का जन्म हुआ था। इन्हें दुनिया का पहला वास्तुकार या इंजीनियर भी कहा जाता है। यही कारण है कि फैक्ट्रियों और कंपनियों में विश्वकर्मा पूजा की जाती है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार, प्राचीन काल में देवताओं के महल और अस्त्र-शस्त्र विश्वकर्मा भगवान ने ही बनाया था। लेकिन बहुत कम लोग जानते होंगे कि भगवान विश्वकर्मा का जन्म कैसे हुआ था। इस लेख में हम आपको यही बता रहे हैं कि विश्वकर्मा जी का जन्म कैसे हुआ था।

पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब सृष्टि अपने प्रारंभ में थी तब भगवान विष्णु प्रकट हुए थे। वो क्षीर सागर में शेषशय्या पर थे। विष्णु जी की नाभि से कमल निकला था। इसी कमल से ब्रह्मा जी जिनके चार मुख थे, प्रकट हुए थे। ब्रह्मा जी के पुत्र का नाम वास्तुदेव था। वास्तुदेव, धर्म की वस्तु नामक स्त्री से जन्मे सातवें पुत्र थे। इनका पत्नी का नाम अंगिरसी था। इन्हीं से वास्तुदेव का पुत्र हुआ जिनका नाम ऋषि विश्वकर्मा था। मान्यता है कि अपने पिता वास्तुदेव की तरह ही ऋषि विश्वकर्मा भी वास्तुकला के आचार्य बनें। भगवान विश्वकर्मा अपने पिता की तरह ही वास्तुकला के महान विद्वान बने।

कहा जाता है कि भगवान विश्वकर्मा ने ही विष्णु जी का सुदर्शन चक्र, शिव जी का त्रिशूल, भगवान कृष्ण की द्वारिका नगरी, पांडवों की इंद्रप्रस्थ नगरी, पुष्पक विमान, इंद्र का व्रज, सोने की लंका बनाई थी। लंका में सोने के महतल का निर्माण शिव जी के लिए भी इन्होंने ही किया था। ऐसा कहा जाता है कि महल की पूजा के दौरान रावण ने इसे दक्षिणा के रूप में ले लिया था।