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Vrischika Sankranti 2024: इस दिन मनाई जाएगी वृश्चिक संक्रांति? नोट करें शुभ मुहूर्त एवं योग

ज्योतिषियों की मानें तो सूर्य देव (Vrischika Sankranti 2024) की पूजा करने से साधक को आरोग्य जीवन का वरदान प्राप्त होता है। साथ ही करियर और कारोबार को भी नई दिशा मिलती है। सूर्य देव की उपासना करने से आत्मबल में भी वृद्धि होती है। इस शुभ अवसर पर साधक स्नान-ध्यान कर आत्मा के कारक सूर्य देव की उपासना करते हैं।

By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Fri, 18 Oct 2024 10:00 AM (IST)
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Vrischika Sankranti 2024: वृश्चिक संक्रांति का धार्मिक महत्व

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। ज्योतिष शास्त्र में सूर्य देव को आत्मा का कारक माना जाता है। सूर्य देव एक राशि में 30 दिनों तक रहते हैं। इसके बाद सूर्य देव राशि परिवर्तन करते हैं। सूर्य देव के राशि परिवर्तन करने की तिथि पर संक्रांति मनाई जाती है। संक्रांति तिथि पर स्नान-ध्यान और दान-पुण्य किया जाता है। धार्मिक मत है कि संक्रांति तिथि पर सूर्य देव की उपासना (Vrischika Sankranti Puja Vidhi) करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होती है। इसके साथ ही सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है। इसके अलावा, शारीरिक एवं मानसिक कष्टों से मुक्ति मिलती है। आइए, वृश्चिक संक्रांति तिथि की सही डेट और शुभ मुहूर्त जानते हैं।

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सूर्य राशि परिवर्तन (Surya Gochar 2024)

सूर्य देव अगहन माह के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि को राशि परिवर्तन करेंगे। इस दिन सूर्य देव सुबह 07 बजकर 41 मिनट पर तुला राशि से निकलकर वृश्चिक राशि में गोचर करेंगे। वहीं, 15 दिसंबर को सूर्य देव राशि परिवर्तन करेंगे। इस दौरान सूर्य देव 19 नवंबर को अनुराधा और 2 दिसंबर को ज्येष्ठा नक्षत्र में गोचर करेंगे।

वृश्चिक संक्रांति शुभ मुहूर्त (Vrischika Sankranti Shubh Muhurat)

सूर्य देव अगहन माह के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि यानी 16 नवंबर को सुबह 07 बजकर 41 मिनट पर वृश्चिक राशि में गोचर करेंगे। इस दिन पुण्य काल सुबह 06 बजकर 45 मिनट से लेकर सुबह 07 बजकर 41 मिनट तक है। वहीं, महा पुण्य काल सुबह 06 बजकर 45 मिनट से लेकर सुबह 07 बजकर 41 मिनट तक है। साधक अपनी सुविधा के अनुसार पुण्य काल के दौरान स्नान-ध्यान कर पूजा, जप-तप एवं दान-पुण्य कर सकते हैं।

वृश्चिक संक्रांति शुभ योग (Vrischika Sankranti Shubh Yog)

ज्योतिषियों की मानें तो अगहन माह के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि को दुर्लभ शिववास योग का निर्माण हो रहा है। इस योग में भगवान शिव की पूजा करने से साधक को सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही वृश्चिक संक्रांति पर परिघ योग का भी संयोग बन रहा है। इस योग का समापन रात 11 बजकर 48 मिनट पर होगा। वहीं, सर्वार्थ सिद्धि योग और अमृत सिद्धि योग का संयोग संध्याकाल से बन रहा है। इन योग में सूर्य देव की उपासना करने से साधक को मनोवांछित फल की प्राप्ति होगी। 

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।