Disha Shool: क्या होता है दिशा शूल, जानें किस दिन किस दिशा में जाना है वर्जित, पढ़ें उपाय
Disha Shool दिशा शूल क्या होता है? किस दिन किस दिशा में दिशा शूल मान्य होता है और उसके उपाय क्या हैं? आइए विस्तार से जानते हैं।
By Kartikey TiwariEdited By: Updated: Wed, 15 Jul 2020 11:59 AM (IST)
Disha Shool: ये सोशल डिस्टेंसिंग और अति आवश्यक कामों के लिए घर से निकलने का दौर है। जी हां, कोराना से ग्रस्त पूरी दुनिया में वो ही लोग सुरक्षित रह पाए हैं, जो गाइडलाइन्स का पालन कर रहे हैं। ये तो है कोरोना के समय की गाइडलाइंस कि लोगों से दूरी बनाए रखें, साबुन तथा सेनेटाइजर का प्रयोग करें, छींकते वक्त हाथ नहीं, कोहनी को आगे करें। यात्रा के वक्त कुछ गाइडलाइन्स ज्योतिष शास्त्रों में भी बताई जाती रही हैं। उन्हीं में से एक है दिशा शूल।
दिशा शूल क्या है? ज्योतिष शास्त्रों में वर्णित दिशा शूल के उपयोग से यात्रा को सुगम बनाए जाने की बात कही जाती है। ज्योतिषाचार्या साक्षी शर्मा के अनुसार, दिशा शूल जैसा कि नाम से ज्ञात होता है कि प्रत्येक दिवस में किसी एक दिशा में दिशा शूल होता है अर्थात् वो दिशा उस दिन यात्रा के लिए अनुचित मानी जाती है। शास्त्रों की मानें तो दिशा शूल वाली दिशा में यात्रा करने से दुर्घटना के योग बनते हैं, जो कष्टमय होता है।
दिन के हिसाब से दिशा शूलनीचे लिखे दिनों के हिसाब से इन दिशाओं में दिशा शूल कहा गया है। ज्योतिष के अनुसार, शनिवार और सोमवार को पूरब दिशा में यात्रा करना निषेध कहा गया है। मंगलवार और बुधवार को उत्तर दिशा में यात्रा करने से बचने की सलाह दी जाती है। गुरुवार के दिन दक्षिण दिशा और शुक्रवार, रविवार को पश्चिम दिशा में यात्रा करना अशुभ बताया जाता है।
दिशा शूल के उपाय
अगर किसी कारणवश उक्त दिशा में यात्रा करनी भी पड़े तो उसके निवारण के कुछ आसान से उपाय बातए जाते हैं, जिन्हें अपनाकर यात्रा को निर्विघ्न बनाया जा सकता है। इनमें से कुछ उपाय ये हैं- रविवार को पान या घी खाकर घर से निकलना बेहतर होता है। सोमवार को दर्पण देखकर या दूध पीकर यात्रा के लिए निकलना फायदा पहुंचाता है। मंगल को गुड़ और आटे से बना व्यंजन खाकर यात्रा शुरू करने पर लाभ मिलता है। बुधवार को धनिया, तुलसी या तिल खाकर यात्रा करने का विधान ज्योतिष के जानकार बताते हैं। गुरुवार को जीरा या दही खाकर घर से निकना फायदेमंद बताया जाता है। शुक्रवार को दही और शक्कर खाकर यात्रा करने को कहा जाता है। शनिवार को अदरक या उड़द खाकर निकलना फलदायक बताया जाता है।
ऐसे में दिशा शूल मान्य नहीं होतायदि एक दिन में गंतव्य स्थान पर पहुंचना और फिर वापस आना निश्चित हो तो दिशाशूल विचार की आवश्यकता नहीं होती है। रविवार, गुरुवार और शुक्रवार के दोष रात्रि में प्रभावित नहीं होते हैं। सोमवार, मंगलवार और शनिवार के दोष दिन में प्रभावी नहीं होते हैं, लेकिन ऐसा कहा जाता है कि बुधवार तो हर प्रकार से त्याज्य है।डिस्क्लेमर-
''इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना में निहित सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्स माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्म ग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारी आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना के तहत ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी। ''