Shankhpal Kaal Sarp Yog: क्या आपको भी जीवन में बार-बार मिलता है धोखा? इन उपायों से पाएं निजात
कुंडली में राहु और केतु के अशुभ प्रभावों के चलते जातक के जीवन में नाना प्रकार की कठिनाइयां आती हैं। राहु और केतु के सूर्य के साथ रहने पर ग्रहण योग बनता है। इससे करियर और कारोबार पर बुरा असर पड़ता है। ज्योतिष कुंडली में राहु और केतु के अशुभ प्रभाव को समाप्त करने के लिए भगवान शिव की पूजा करने की सलाह देते हैं।
By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Mon, 24 Jun 2024 07:03 PM (IST)
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Shankhpal Kaal Sarp Yog: सनातन धर्म में ज्योतिष शास्त्र का विशेष महत्व है। ज्योतिष कुंडली देखकर व्यक्ति के भविष्य की गणना करते हैं। कुंडली में किसी प्रकार का दोष लगने पर जातक को जीवन में विषम परिस्थिति से गुजरना पड़ता है। साथ ही आर्थिक संकटों का सामना भी करना पड़ता है। कुंडली में कई प्रकार के दोष लगते हैं। इनमें कालसर्प दोष अधिक कष्टकारी माना जाता है। इस दोष से पीड़ित जातक को जीवन में हर समय संकटों से ही गुजरना पड़ता है। अगर आप भी अपने जीवन में नाना प्रकार के दुख और व्याधि से गुजर रहे हैं, तो एक बार अपनी कुंडली का विश्लेषण अपने निकटतम ज्योतिष से अवश्य करा लें। दोष लगने पर निवारण अनिवार्य है। आइए, शंखपाल कालसर्प दोष के बारे में सबकुछ जानते हैं-
कैसे बनता है शंखपाल कालसर्प दोष ?
ज्योतिषियों की मानें तो कुंडली में द्वादश भाव हैं। इन भावों में शुभ और अशुभ ग्रह उपस्थित रहते हैं। मायावी ग्रह केतु के तीसरे भाव और राहु के नवम भाव में उपस्थित रहने और दोनों ग्रहों के मध्य सभी शुभ और अशुभ ग्रह की उपस्थिति होने पर शंखपाल कालसर्प दोष लगता है। आसान शब्दों में कहें तो राहु के नवम भाव और केतु के तीसरे भाव में रहने पर शंखपाल कालसर्प दोष बनता है।शंखपाल कालसर्प दोष के प्रभाव
शंखपाल कालसर्प दोष से पीड़ित जातक को जीवन में बार-बार धोखा मिलता है। जातक को धोखा कभी दोस्तों, तो कभी रिश्तेदारों से मिलता है। कई अवसर पर जातक फैसले लेने में भी असमर्थ रहता है। इस दोष से पीड़ित जातकों के जीवन में रिश्तेदार अधिक हस्तक्षेप करते हैं। इसके अलावा, जातक को बुरे सपने अधिक दिखाई देते हैं।