Abhay Mudra: क्या है भगवान शिव की अभयमुद्रा? जिसकी हर तरफ हो रही है चर्चा
कुछ दिनों से भगवान शिव के अभय मुद्रा स्वरूप की चर्चा हो रही है जो उनकी प्रसन्न मुद्रा मानी जाती है। दरअसल हालही में विपक्षी नेता राहुल गांधी ने संसद में उनकी इस मुद्रा पर चर्चा की थी तो आइए इसके बारे में कुछ महत्वपूर्ण बातों को जानते हैं जो यहां पर दी गई हैं। बता दें आमतौर पर इस मुद्रा का उपयोग योग और ध्यान में किया जाता है।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। भगवान शिव की पूजा हिंदू धर्म में बेहद कल्याणकारी मानी जाती है। ऐसी मान्यता है कि भगवान शंकर की पूजा करने से सभी संकटों का नाश होता है। इसके साथ ही परिवार में खुशहाली आती है। ऐसी मान्यता है कि भगवान शंकर के अभय मुद्रा (Abhay Mudra) स्वरूप की पूजा अवश्य करनी चाहिए, जिसकी चर्चा हालही में विपक्षी नेता राहुल गांधी ने संसद भवन में भी की थी, तो आइए इस मुद्रा के बारे में कुछ महत्वपूर्ण बातें जानते हैं -
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क्या है अभयमुद्रा?
अभयमुद्रा को शुभता और सुरक्षा का प्रतीक माना जाता है, जिसे अक्सर आपने भगवान शिव, गुरू नानकदेव, ईसा मसीह, भगवान बुद्ध और महावीर स्वामी को धारण करते देखा होगा। इस मुद्रा में दाहिना हाथ कंधे की ऊंचाई के बराबर उठा रहता है और हथेली को बाहर की तरफ उंगलियों को सीधा रखते हुए दिखाया जाता है, जबकि बायां हाथ गोद में ही रहता है। ज्यादातर इस मुद्रा का प्रयोग आशीर्वाद देने के लिए किया जाता है।
शिव जी की अभयमुद्रा का मतलब और लाभ
शिव जी की अभय मुद्रा का अर्थ है कि निर्भय यानी भयों से मुक्त। भोलेनाथ अपनी इस मुद्रा में भक्तों को आशीर्वाद देने के लिए आते हैं। यह उनकी प्रसन्न मुद्रा मानी जाती है। इसके साथ ही जो जातक उनकी इस मुद्रा का पालन करते हैं, उनके जीवन का भारी से भारी अंधकार दूर हो जाता है।साथ ही बुराई और अज्ञानता पर विजय प्राप्त होती है। बता दें, आमतौर पर इस मुद्रा का उपयोग योग और ध्यान को केंद्रित करने के लिए किया जाता है।
यह भी पढ़ें: Gupt Navratri 2024: विवाह में बार-बार आ रही हैं बाधाएं, तो आषाढ़ गुप्त नवरात्र पर करें हल्दी के ये उपायअस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।