Dhanteras और Diwali पर जरूर करें इन चीजों का दान, प्रसन्न होंगी माता लक्ष्मी
सनातन धर्म में दिवाली और धनतेरस का पर्व बेहद शुभ माना जाता है। इस मौके पर लोग धन की देवी माता लक्ष्मी और कुबेर देव की पूजा करते हैं। ऐसा माना जाता है कि उनकी पूजा से सौभाग्य में वृद्धि होती है। जब दीवाली-धनतेरस को कुछ ही दिन शेष रह गए हैं। तो आइए इस दिन क्या (Diwali 2024) दान करना चाहिए और क्या नहीं? उसके बारे में जानते हैं।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। दिवाली और धनतेरस हिंदू धर्म का सबसे महत्वपूर्ण त्योहार माना जाता है। यह कार्तिक माह में हर साल भक्ति के साथ मनाया जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल दिवाली 31 अक्टूबर, 2024 को मनाई जाएगी और धनतेरस 29 अक्टूबर, 2024 को मनाया जाएगा। इस दिन भगवान गणेश, देवी लक्ष्मी और कुबेर देव की पूजा होती है। ऐसा माना जाता है कि इस मौके पूजा-पाठ और दान पुण्य करने से सुख-शांति की प्राप्ति होती है। साथ ही धन में वृद्धि होती है। वहीं, इस मौके पर क्या दान (Dhanteras Pe Kya Daan De) करना चाहिए और क्या नहीं? आइए उसके बारे में जानते हैं।
दीवाली और धनतेरस पर क्या दान करना चाहिए? (Diwali And Dhanteras Daan)
दीवाली (Diwali Pe Kya Daan De) और धनतेरस के दिन अनाज, ऋतु फल, वस्त्र, मिठाई़, झाड़ू, धन आदि का दान करना बहुत शुभ माना जाता है। दान करते समय इस बात का ध्यान रखें कि जिसे आप दान कर रहे हैं, उन्हें इसकी आवश्यकता है या नहीं? इसलिए कोशिश करें कि किसी गरीब व जरूरतमंद को ही दान दें। इससे आपका धन दोगुना तेजी से बढ़ेगा।साथ ही माता लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होगी। इसके अलावा आए के नए-नए स्रोत प्राप्त होंगे और धन की मुश्किलों से निजात मिलेगा।
दीवाली-धनतेरस पर गलती से भी न करें ये दान (Do Not Donate This things In Diwali-Dhanteras)
दीवाली (Diwali 2024) और धनतेरस (Dhanteras 2024) के पावन अवसर पर तेल और घी, नमक, लोहे और धारदार चीजें, काले रंग की वस्तुएं, टूटी हुई वस्तुएं, आदि चीजों का दान पूर्णता: वर्जित माना गया है। इससे धन की देवी माता लक्ष्मी और कुबेर देव रुष्ट हो सकते हैं, क्योंकि ये सभी चीजें अशुभता का प्रतीक मानी जाती हैं। साथ ही ये दुर्भाग्य और विपत्ति को आकर्षित करती हैं। ऐसे में गलती से भी किसी को ये चीजें न दें।दीवाली पूजन मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल दीवाली के दिन पूजा के लिए पहला शुभ मुहूर्त प्रदोष काल शाम 05 बजकर 36 मिनट लेकर 08 बजकर 11 मिनट तक रहेगा। इस दौरान गृहस्थ लोग पूजा करें। वहीं, जो भक्त तंत्र-मंत्र और तांत्रिक पूजा करते हैं, उनके लिए रात की पूजा यानी निशिता काल की पूजा ज्यादा फलदायी होती है। इसलिए 31 अक्टूबर को निशिता मुहूर्त रात 11 बजकर 39 मिनट से लेकर 12 बजकर 31 मिनट तक रहेगा।
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