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Navratri 2024: कब और कैसे जगत जननी देवी दुर्गा ने धरा मां चामुंडा का रूप? संधि पूजा से जुड़ा है कनेक्शन

सनातन धर्म में संधि पूजा का विशेष महत्व है। इस दौरान देवी दुर्गा के क्रोधित स्वरूप मां चामुंडा की पूजा की जाती है। साथ ही उनकी कठिन भक्ति साधना की जाती है। मां चामुंडा (Sandhi Puja 2024) की पूजा करने से साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। जगत जननी मां दुर्गा अपने भक्तों के सभी कष्ट हर लेती हैं।

By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Thu, 10 Oct 2024 05:46 PM (IST)
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Maa Chamunda: मां चामुंडा को कैसे प्रसन्न करें ?

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म में शारदीय नवरात्र का विशेष महत्व है। इस शुभ अवसर पर आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से लेकर नवमी तिथि तक जगत जननी मां दुर्गा (Maa Durga) और उनके स्वरूपों की पूजा की जाती है। अष्टमी एवं नवमी तिथि पर संधि पूजा भी की जाती है। संधि पूजा दो घटी मुहूर्त में की जाती है। सनातन शास्त्रों में वर्णित है कि संधि पूजा के दौरान देवी दुर्गा के रौद्र रूप मां चामुंडा की पूजा की जाती है। धार्मिक मत है कि मां चामुंडा की पूजा करने वाले उपासकों को जीवन में व्याप्त सभी प्रकार के संकटों से मुक्ति मिलती है। इसके साथ ही सुख और सौभाग्य में अपार वृद्धि होती है। लेकिन क्या आपको पता है कि देवी दुर्गा ने कब, कैसे और क्यों मां चामुंडा का रूप धारण किया था? आइए, इसके बारे में सबकुछ जानते हैं-  

कब होती है संधि पूजा ? ( Sandhi Puja 2024)

सनातन शास्त्रों में निहित है कि संधि पूजा अष्टमी तिथि के समापन और नवमी तिथि की शुरुआत में होती है। इस समय कुल मिलाकर दो घटी यानी 48 मिनट तक संधि पूजा की जाती है। एक घटी 24 मिनट की होती है। वहीं, दो घटी से एक मुहूर्त काल बनता है। इस प्रकार अष्टमी समापन के 24 मिनट पहले और नवमी शुरुआत के 24 मिनट बाद के सम समय को संधि काल कहा जाता है। इस समय संधि पूजा की जाती है। संधि पूजा में मां चामुंडा की कठिन उपासना एवं साधना की जाती है।  

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मां चामुंडा अवतरण कथा  (Maa Chamunda Story)

चिरकाल में शुंभ और निशुंभ के अत्याचार से तीनों लोक में हाहाकार मच गया था। शुंभ और निशुंभ ने इंद्र देव को युद्ध में परास्त कर स्वर्ग पर अपना अधिकार जमा लिया। इसके बाद सभी देवगण ब्रह्मा जी के माध्यम से भगवान विष्णु के पास पहुंचे और उन्हें आपबीती सुनाई। यह सुन भगवान विष्णु बोले- आपकी समस्या का समाधान मां जगदंबा ही कर सकती हैं। आप उनके शरण में जाएं।

तब सभी हिमालय पहुंच कर मां पार्वती की उपासना करने लगे। एक दिन मां पार्वती स्नान हेतु सरोवर आई थीं। मार्ग में देवगणों को कठिन भक्ति देख प्रयोजन जानने की कोशिश की। उस समय पता चला कि शुंभ और निशुंभ के अत्याचार से बचाव के लिए सभी शिव-शक्ति के शरण में हैं। यह जान मां पार्वती के तेज से एक देवी प्रकट हुईं। मां कौशिकी बेहद खूबसूरत थीं। कौशिकी के सौंदर्यता पर मुग्ध होकर शुंभ और निशुंभ के दूत ने उन्हें सूचना दी कि आपने बल के माध्यम से सब कुछ अर्जित कर लिया है, लेकिन एक चीज की कमी रह गई है। वह कोई और नहीं, बल्कि सौंदर्य की देवी कौशिकी है।

हालांकि, देवी कौशिकी ने यह प्रण लिया है कि जो कोई उसे युद्ध में हरा देगा। वह उसी से विवाह करेंगी। यह जान शुंभ और निशुंभ ने अपने दूत चंड और मुंड को युद्ध के लिए भेजा। चंड और मुंड को यह ज्ञात नहीं था। अज्ञातवश उन्होंने देवी कौशिकी को युद्ध के लिए ललकारा। जब मां ने कोई प्रति उत्तर नहीं दिया, तो चंड और मुंड ने बलपूर्वक मां को लाने की कोशिश की। उस समय मां कौशिकी के क्रोध से एक कन्या का अवतरण हुआ। मां कौशिकी के क्रोधित स्वरूप ने क्षण में चंड और मुंड का संहार कर दिया। इसके लिए देवी मां दुर्गा के क्रोधित स्वरूप को मां चामुंडा कहा जाता है। मां चामुंडा ने संधि काल में चंड और मुण्ड का वध किया था।

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।