Move to Jagran APP

Ashadha Amavasya 2024: इन 2 योग में मनाई जाएगी आषाढ़ अमावस्या, प्राप्त होगा पितरों का आशीर्वाद

धार्मिक मत है कि अमावस्या तिथि पर भगवान विष्णु की पूजा करने से साधक के जीवन में व्याप्त समस्त प्रकार के दुख संकट और दरिद्रता दूर हो जाती है। साथ ही घर में सुख समृद्धि और खुशहाली आती है। इस दिन पितरों के तर्पण करने से घर में खुशियों का आगमन होता है। पितरों की कृपा से व्यक्ति के सभी बिगड़े काम बन जाते हैं।

By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Tue, 25 Jun 2024 06:05 PM (IST)
Hero Image
Ashadha Amavasya 2024: कब है आषाढ़ अमावस्या?
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Ashadha Amavasya 2024: हर महीने कृष्ण पक्ष में चतुर्दशी तिथि के अगले दिन अमावस्या मनाई जाती है। अमावस्या तिथि पर नभ यानी आकाश में चंद्रमा दिखाई नहीं देता है। इस दिन बड़ी संख्या में साधक गंगा समेत पवित्र नदियों में आस्था की डुबकी लगाते हैं। इसके बाद विधि-विधान से जगत के पालनहार भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। सनातन धर्म में अमावस्या तिथि पर पितरों की भी पूजा की जाती है। इससे पितृ प्रसन्न होते हैं। उनकी कृपा साधक पर अवश्य बरसती है। ज्योतिषियों की मानें तो आषाढ़ अमावस्या पर एक साथ दो शुभ योग बन रहे हैं। इन योग में भगवान विष्णु की पूजा करने और पितरों का तर्पण करने से साधक को अक्षय फल की प्राप्ति होगी। साथ ही पितरों का आशीर्वाद भी प्राप्त होगा। आइए, शुभ मुहूर्त, तिथि एवं योग जानते हैं-

यह भी पढ़ें: कहां है शनिदेव को समर्पित कोकिला वन और क्या है इसका धार्मिक महत्व?


शुभ मुहूर्त

आषाढ़ अमावस्या की तिथि 05 जुलाई को भारतीय समयानुसार सुबह 4 बजकर 47 मिनट पर शुरू होगी और अगले दिन 06 जुलाई को सुबह 04 बजकर 26 मिनट पर समाप्त होगी। सनातन धर्म में सूर्योदय के बाद से तिथि की गणना की जाती है। इसके लिए 05 जुलाई को आषाढ़ अमावस्या मनाई जाएगी। इस दिन पूजा, जप-तप एवं दान-पुण्य कर सकते हैं। अमावस्या तिथि पर कालसर्प और पितृ दोष का निवारण किया जाता है।

शुभ योग

आषाढ़ अमावस्या पर दुर्लभ ध्रुव योग का निर्माण हो रहा है। इस योग का समापन 06 जुलाई को देर रात 03 बजकर 49 मिनट पर होगा। इस प्रकार दिन भर ध्रुव योग का संयोग है। इस योग में स्नान-दान करने से अमोघ फल की प्राप्ति होगी। इस शुभ अवसर पर शिववास योग का भी निर्माण हो रहा है। आषाढ़ अमावस्या पर भगवान शिव जगत की देवी मां पार्वती के साथ कैलाश पर विराजमान रहेंगे। इस समय में भगवान शिव का अभिषेक कर सकते हैं।

पंचांग

सूर्योदय - सुबह 05 बजकर 29 मिनट पर

सूर्यास्त - शाम 07 बजकर 23 मिनट पर

चन्द्रोदय- सुबह 05 बजकर 24 मिनट पर

चंद्रास्त- शाम 07 बजकर 15 मिनट पर

ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 04 बजकर 08 मिनट से 04 बजकर 48 मिनट तक

विजय मुहूर्त - दोपहर 02 बजकर 45 मिनट से 03 बजकर 40 मिनट तक

गोधूलि मुहूर्त - शाम 07 बजकर 22 मिनट से 07 बजकर 42 मिनट तक

निशिता मुहूर्त - रात्रि 12 बजकर 06 मिनट से 12 बजकर 46 मिनट तक

यह भी पढ़ें: कब और कैसे हुई धन की देवी की उत्पत्ति? जानें इससे जुड़ी कथा एवं महत्व

अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।