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Ashwin Amavasya 2024: अक्टूबर महीने में कब है आश्विन अमावस्या? नोट करें शुभ मुहूर्त एवं योग

ज्योतिषियों की मानें तो आश्विन अमावस्या (Ashwin Amavasya 2024) पर जगत के पालनहार भगवान विष्णु की पूजा-आराधना करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होती है। साथ ही घर में सुख समृद्धि एवं खुशहाली होती है। इस तिथि पर बड़ी संख्या में साधक गंगा नदी में आस्था की डुबकी लगाते हैं। इस दिन शिववास योग का संयोग बन रहा है।

By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Sun, 08 Sep 2024 08:28 PM (IST)
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Ashwin Amavasya 2024: आश्विन अमावस्या का धार्मिक महत्व
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म में आश्विन महीने का विशेष महत्व है। इस माह के शुक्ल पक्ष में जगत जननी आदिशक्ति मां दुर्गा धरती पर वास करती हैं। इस दौरान अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से लेकर नवमी तिथि तक जगत की देवी मां दुर्गा की भक्ति भाव से पूजा-सेवा की जाती है। साथ ही नौ दिनों तक मां दुर्गा के निमित्त व्रत रखा जाता है। धार्मिक मत है कि मां दुर्गा की पूजा करने से साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं। साथ ही जीवन में खुशियों का आगमन होता है। शारदीय नवरात्र (Shardiya Navratri 2024) की शुरुआत आश्विन अमावस्या तिथि के अगले दिन से होती है। आइए, आश्विन अमावस्या के बारे में सबकुछ जानते हैं-

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आश्विन अमावस्या शुभ मुहूर्त (Ashwin Amavasya Shubh Muhurat)

वैदिक पंचांग के अनुसार, आश्विन अमावस्या तिथि की शुरुआत 01 अक्टूबर को रात 09 बजकर 39 मिनट पर होगी और 03 अक्टूबर को देर रात 12 बजकर 18 मिनट पर समाप्त होगी। यह गणना अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार है। सनातन धर्म में सूर्योदय के बाद से तिथि की गणना की जाती है। इसके लिए 2 अक्टूबर को अश्विन अमावस्या है। इस दिन साधक गंगा समेत पवित्र नदियों में स्नान-ध्यान कर जगत के पालनहार भगवान विष्णु की पूजा कर सकते हैं।

आश्विन अमावस्या शुभ योग (Ashwin Amavasya Shubh Yog)

ज्योतिषियों की मानें तो आश्विन अमावस्या पर दुर्लभ ब्रह्म योग का निर्माण हो रहा है। इस योग का समापन 03 अक्टूबर को देर रात 03 बजकर 22 मिनट पर हो रहा है। इसके साथ ही सर्वार्थ सिद्धि योग का भी संयोग बन रहा है। सर्वार्थ सिद्धि योग का निर्माण दोपहर 12 बजकर 23 मिनट से हो रहा है। वहीं, समापन 03 अक्टूबर को सुबह 06 बजकर 15 मिनट पर होगा। इसके अलावा, आश्विन अमावस्या पर शिववास योग का भी दुर्लभ संयोग बन रहा है। इन योग में त्रिदेव की पूजा करने से साधक को सभी प्रकार के संकटों से मुक्ति मिलेगी।

पंचांग

सूर्योदय - सुबह 06 बजकर 15 मिनट पर

सूर्यास्त - शाम 06 बजकर 05 मिनट पर

ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 04 बजकर 38 मिनट से 05 बजकर 26 मिनट तक

विजय मुहूर्त - दोपहर 02 बजकर 09 मिनट से 02 बजकर 56 मिनट तक

गोधूलि मुहूर्त - शाम 06 बजकर 05 मिनट से 06 बजकर 30 बजे तक

निशिता मुहूर्त - रात्रि 11 बजकर 46 मिनट से 12 बजकर 35 मिनट तक

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्नमाध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।