Bhuvaneshwari Jayanti 2024: सितंबर महीने में कब है भुवनेश्वरी जयंती? नोट करें शुभ मुहूर्त एवं योग
सनातन शास्त्रों में निहित है कि जगत की देवी मां भुवनेश्वरी (Bhuvaneshwari Jayanti 2024) की पूजा करने से साधक के जीवन में व्याप्त समस्त प्रकार के दुख एवं संकट दूर हो जाते हैं। साथ ही जीवन में खुशियों का आगमन होता है। साधक भक्ति भाव से जगत की देवी मां भुवनेश्वरी की पूजा-उपासना करते हैं। इसके साथ ही मां भुवनेश्वरी के निमित्त व्रत रखते हैं।
By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Thu, 12 Sep 2024 01:20 PM (IST)
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हर वर्ष भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को भुवनेश्वरी जयंती (Bhuvaneshwari Jayanti 2024) मनाई जाती है। इस दिन दस महाविद्याओं की देवी मां भुवनेश्वरी की पूजा की जाती है। साथ ही विशेष कार्य में सिद्धि पाने के लिए मां भुवनेश्वरी के निमित्त व्रत रखा जाता है। तंत्र सीखने वाले साधक भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को मां भुवनेश्वरी की विशेष साधना करते हैं। कठिन भक्ति से प्रसन्न होकर मां भुवनेश्वरी साधक को मनोवांछित फल प्रदान करती हैं। धार्मिक मत है कि मां भुवनेश्वरी के शरणागत रहने वाले साधकों के जीवन में हमेशा मंगल होता है। इसके लिए साधक भक्ति भाव से मां भुवनेश्वरी की पूजा करते हैं। आइए, भुवनेश्वरी जयंती की सही डेट और शुभ मुहूर्त जानते हैं-
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भुवनेश्वरी जयंती शुभ मुहूर्त (Bhuvaneshwari Jayanti Shubh Muhurat)
वैदिक पंचांग के अनुसार, भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि 14 सितंबर को भारतीय समयानुसार शाम 08 बजकर 41 मिनट पर शुरू होगी। वहीं, द्वादशी तिथि का समापन 15 सितंबर को शाम 06 बजकर 12 मिनट पर होगा। भुवनेश्वरी जयंती पर निशाकाल में जगत की देवी मां दुर्गा की पूजा की जाती है। अत: 15 सितंबर को भुवनेश्वरी जयंती मनाई जाएगी।
भुवनेश्वरी जयंती शुभ योग (Bhuvaneshwari Jayanti Shubh Yog)
ज्योतिषियों की मानें तो भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि पर दुर्लभ सुकर्मा योग का निर्माण हो रहा है। इस योग का निर्माण दोपहर 03 बजकर 14 मिनट पर शुरू हो रहा है। इस योग में मां भुवनेश्वरी की पूजा करने से साधक को शुभ फल की प्राप्ति होगी। इसके साथ ही भुवनेश्वरी जयंती पर शिववास योग का निर्माण हो रहा है। शिववास योग में शिव पार्वती जी की पूजा करने से साधक को अक्षय फल की प्राप्ति होगी।पंचांग
सूर्योदय - सुबह 06 बजकर 06 मिनट परसूर्यास्त - शाम 06 बजकर 26 मिनट परचन्द्रोदय- शाम 04 बजकर 47 मिनट परचंद्रास्त- देर रात 03 बजकर 47 मिनट पर (16 सितंबर)ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 04 बजकर 33 मिनट से 05 बजकर 19 मिनट तकविजय मुहूर्त - दोपहर 02 बजकर 19 मिनट से 03 बजकर 19 मिनट तकगोधूलि मुहूर्त - शाम 06 बजकर 26 मिनट से 06 बजकर 49 मिनट तक
निशिता मुहूर्त - रात्रि 11 बजकर 53 मिनट से 12 बजकर 40 मिनट तकयह भी पढ़ें: सितंबर महीने में कब है इंदिरा एकादशी? नोट करें शुभ मुहूर्त एवं योग
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