Sankashti Chaturthi 2024: कब मनाई जाएगी हेरंब संकष्टी चतुर्थी, नोट करें शुभ मुहूर्त एवं योग
धार्मिक मान्यता है कि भगवान गणेश (Sankashti Chaturthi 2024) की पूजा करने से घर में सुख समृद्धि और खुशहाली का आगमन होता है। साथ ही आय और सौभाग्य में वृद्धि होती है। इस शुभ अवसर पर साधक स्नान-ध्यान करने के बाद भक्ति भाव से भगवान गणेश की पूजा एवं आरती करते हैं। साथ ही संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखते हैं।
By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Mon, 12 Aug 2024 04:38 PM (IST)
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हर वर्ष भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को हेरंब संकष्टी चतुर्थी मनाई जाती है। यह दिन भगवान गणेश को समर्पित होता है। इस दिन भगवान गणेश की विधि-विधान से पूजा (Heramb Sankashti Chaturthi Puja Vidhi) की जाती है। साथ ही शुभ कार्यों में सिद्धि पाने के लिए सिद्धिविनायक भगवान गणेश के निमित्त संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखा जाता है। इस व्रत को करने से साधक के जीवन में व्याप्त धन समेत सभी प्रकार के दुख एवं संकट दूर हो जाते हैं। साथ ही आय और सौभाग्य में वृद्धि होती है। आइए, हेरंब संकष्टी चतुर्थी की तिथि एवं योग जानते हैं-
हेरंब संकष्टी चतुर्थी तिथि और मुहूर्त (Heramb Sankashti Chaturthi Shubh Muhurat)
वैदिक पंचांग के अनुसार, भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की संकष्टी चतुर्थी गुरुवार 22 अगस्त को दोपहर 01 बजकर 46 मिनट पर शुरू होगी। वहीं, इस तिथि का समापन 23 अगस्त को सुबह 10 बजकर 38 मिनट होगा। इस तिथि पर चंद्र दर्शन का शुभ मुहूर्त रात 08 बजकर 51 मिनट पर है।
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शुभ योग (Heramb Sankashti Chaturthi Shubh Yog)
ज्योतिषियों की मानें तो हेरंब संकष्टी चतुर्थी पर एक साथ कई शुभ योग बन रहे हैं। इनमें धृति योग दोपहर 01 बजकर 11 मिनट तक है। सर्वार्थ सिद्धि योग रात 10 बजकर 05 मिनट से लेकर 23 अगस्त को सुबह 06 बजकर 06 मिनट तक है। इस तिथि पर भगवान शिव दोपहर 01 बजकर 47 मिनट से कैलाश पर विराजमान रहेंगे।पंचांग (Heramb Sankashti Chaturthi Panchang)
सूर्योदय - सुबह 06 बजकर 06 मिनट परसूर्यास्त - शाम 06 बजकर 53 मिनट परचन्द्रोदय- रात 08 बजकर 51 मिनट परचंद्रास्त- सुबह 08 बजकर 34 मिनट परब्रह्म मुहूर्त - सुबह 04 बजकर 36 मिनट से 05 बजकर 21 मिनट तकविजय मुहूर्त - दोपहर 02 बजकर 37 मिनट से 03 बजकर 29 मिनट तकगोधूलि मुहूर्त - शाम 06 बजकर 53 मिनट से 07 बजकर 16 मिनट तक
निशिता मुहूर्त - रात्रि 12 बजकर 07 मिनट से 12 बजकर 52 मिनट तकयह भी पढ़ें: कब और किसने की रुद्राष्टकम स्तोत्र की रचना? जानें इससे जुड़ी महत्वपूर्ण बातें
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