Pradosh Vrat 2024: कब मनाया जाएगा आश्विन माह का अंतिम प्रदोष व्रत? नोट करें शुभ मुहूर्त एवं पूजा का समय
ज्योतिषियों की मानें तो आश्विन माह के अंतिम प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat 2024) पर दुर्लभ सुकर्मा और शिववास योग का अद्भुत संयोग बन रहा है। इन योग में भगवान शिव संग मां पार्वती की पूजा करने से साधक को अक्षय फल की प्राप्ति होगी। साथ ही कर्ज की समस्या से मुक्ति मिलेगी। इस दिन साधक भक्ति भाव से शिव-शक्ति की पूजा करते हैं।
By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Wed, 09 Oct 2024 09:26 PM (IST)
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। प्रत्येक माह के कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि देवों के देव महादेव को समर्पित है। इस दिन भगवान शिव संग मां पार्वती की पूजा की जाती है। इसके साथ ही शिव-शक्ति के निमित्त प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat 2024) रखा जाता है। इस व्रत को करने से साधक को सभी प्रकार के शारीरिक एवं मानसिक कष्टों से मुक्ति मिलती है। साथ ही सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है। इस शुभ अवसर पर साधक श्रद्धा भाव से भगवान शिव की पूजा करते हैं। आइए, सही डेट एवं शुभ मुहूर्त जानते हैं।
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प्रदोष व्रत शुभ मुहूर्त (Pradosh Vrat Shubh Muhurat)
आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार 15 अक्टूबर को देर रात 03 बजकर 42 मिनट पर शुरू होगी। वहीं, 16 अक्टूबर को देर रात 12 बजकर 19 मिनट पर समाप्त होगी। सनातन धर्म में सूर्योदय के बाद से तिथि की गणना की जाती है। इसके लिए 15 अक्टूबर को आश्विन माह का अंतिम प्रदोष व्रत रखा जाएगा। इस दिन भगवान शिव एवं मां पार्वती की पूजा के लिए शुभ समय संध्याकाल 05 बजकर 38 मिनट से लेकर रात 08 बजकर 13 मिनट तक है। इस समय में साधक भगवान शिव की पूजा कर सकते हैं।
प्रदोष व्रत महत्व
सनातन धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है। इस व्रत का फल दिन अनुसार प्राप्त होता है। आश्विन माह का अंतिम प्रदोष व्रत मंगलवार के दिन मनाया जाएगा। इसके लिए यह भौम प्रदोष व्रत कहलाएगा। भौम प्रदोष करने से आर्थिक तंगी दूर होती है। इसके साथ ही कुंडली में लाल ग्रह यानी मंगल मजबूत होता है। इस शुभ अवसर पर मंदिरों में विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है।पंचांग
सूर्योदय - सुबह 06 बजकर 06 मिनट परसूर्यास्त - शाम 06 बजकर 26 मिनट परचन्द्रोदय- सुबह 04 बजकर 47 मिनट परचंद्रास्त- शाम 03 बजकर 47 मिनट पर (16 सितंबर)ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 04 बजकर 33 मिनट से 05 बजकर 19 मिनट तकविजय मुहूर्त - दोपहर 02 बजकर 19 मिनट से 03 बजकर 09 मिनट तकगोधूलि मुहूर्त - शाम 06 बजकर 26 मिनट से 06 बजकर 49 मिनट तक
निशिता मुहूर्त - रात्रि 11 बजकर 53 मिनट से 12 बजकर 40 मिनट तकयह भी पढ़ें: प्रदोष व्रत पर जरूर करें इन मंत्रों का जप, जीवन की समस्या का होगा अंतअस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।