Masik Durgashtami 2024: जून महीने में कब है मासिक दुर्गाष्टमी? नोट करें सही डेट, पूजा विधि एवं योग
शास्त्रों में जगत जननी मां दुर्गा की महिमा का गुणगान किया गया है। मां दुर्गा के शरणागत रहने वाले साधकों की सभी मनोकामनाएं जल्द पूर्ण होती हैं। साथ ही सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है। साधक मनचाहे वर की प्राप्ति के लिए व्रत भी रखते हैं। इस व्रत के पुण्य प्रताप से आरोग्य जीवन का वरदान प्राप्त होता है।
By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Wed, 05 Jun 2024 02:10 PM (IST)
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Masik Durgashtami 2024: हर माह शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि पर जगत जननी मां दुर्गा की पूजा की जाती है। साथ ही उनके निमित्त मासिक दुर्गाष्टमी का व्रत और उपवास रखा जाता है। धार्मिक मत है कि मासिक दुर्गाष्टमी पर मां दुर्गा की पूजा-उपासना करने से साधक को सभी प्रकार के दुखों से मुक्ति मिलती है। साथ ही सकल मनोरथ सिद्ध होते हैं। इस व्रत की महिमा का गुणगान शास्त्रों में किया गया है। मां दुर्गा अपने भक्तों पर कृपा-दृष्टि बनाए रखती हैं। उनकी कृपा से साधक के सभी दुख और संताप दूर हो जाते हैं। अत: साधक मासिक दुर्गाष्टमी पर विधि-विधान से मां की उपासना करते हैं। आइए, मासिक दुर्गाष्टमी की तिथि, पूजा विधि एवं योग जानते हैं-
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शुभ मुहूर्त
ज्योतिषियों की मानें तो ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि 13 जून को रात 09 बजकर 33 मिनट पर शुरू होगी और 15 जून को देर रात 12 बजकर 03 मिनट पर समाप्त होगी। मां की उपासना निशा काल में होती है। इसके लिए 14 जून को मासिक दुर्गाष्टमी मनाई जाएगी। साधक दुर्गाष्टमी का व्रत 14 जून को रख सकते हैं।योग
मासिक दुर्गाष्टमी पर सिद्धि योग का निर्माण हो रहा है। इस योग का समापन संध्याकाल 07 बजकर 08 मिनट पर हो रहा है। इस योग में मां दुर्गा की पूजा करने से साधक को सभी शुभ कार्यों में सिद्धि प्राप्त होगी। साथ ही घर में सुख, समृद्धि और खुशहाली आती है।
पूजा विधि
मासिक दुर्गाष्टमी तिथि पर सुबह में उठें। इस समय मां दुर्गा को प्रणाम कर दिन की शुरुआत करें। नित्य कर्मों से निवृत होने के बाद गंगाजल युक्त पानी से स्नान करें। अब सूर्य देव का अभिषेक करें। इसके बाद पंचोपचार कर विधि-विधान से मां दुर्गा की पूजा करें। पूजा के समय दुर्गा चालीसा का पाठ और मंत्रों का जप करें। पूजा के अंत में आरती कर सुख-समृद्धि की कामना करें। मां को लाल रंग अति प्रिय है। इसके लिए मां को लाल रंग के फल, फूल और मिष्ठान अवश्य अर्पित करें।यह भी पढ़ें: आखिर किस वजह से कौंच गंधर्व को द्वापर युग में बनना पड़ा भगवान गणेश की सवारी?
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