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Papankusha Ekadashi 2024: अक्टूबर महीने में कब है पापांकुशा एकादशी? नोट करें शुभ मुहूर्त एवं योग

धार्मिक मत है कि पापांकुशा एकादशी (Papankusha Ekadashi 2024) तिथि पर भगवान विष्णु संग मां लक्ष्मी की पूजा करने से साधक को सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है। साथ ही जीवन में खुशियों का आगमन होता है। इस व्रत के पुण्य-प्रताप से पितरों को भी मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसके लिए इंदिरा एकादशी पर साधक श्रद्धा भाव से भगवान विष्णु की पूजा करते हैं।

By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Fri, 23 Aug 2024 09:00 AM (IST)
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Papankusha Ekadashi 2024: पापांकुशा एकादशी का धार्मिक महत्व

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Papankusha Ekadashi 2024: हर वर्ष आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि के अगले दिन पापांकुशा एकादशी (Papankusha Ekadashi Puja Vidhi)  मनाई जाती है। इस शुभ तिथि पर जगत के पालनहार भगवान विष्णु संग धन की देवी की मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है। साथ ही एकादशी का व्रत रखा जाता है। इस व्रत को करने से साधक द्वारा जाने-अनजाने में किए गए सभी पापों से मुक्ति मिलती है। साथ ही मनोवांछित फलों की प्राप्ति होती है। एकादशी तिथि पर मंदिरों में लक्ष्मी नारायण जी की विशेष पूजा की जाती है। साथ ही भजन-कीर्तन का आयोजन किया जाता है। आइए, पापांकुशा  एकादशी का शुभ मुहूर्त, योग एवं पारण का समय जानते हैं-

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पापांकुशा एकादशी शुभ मुहूर्त (Papankusha Ekadashi Shubh Muhurat)

पंचांग के अनुसार, आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि रविवार 13 अक्टूबर को सुबह 09 बजकर 08 मिनट पर शुरू होगी। वहीं, इस तिथि का समापन सोमवार 14 अक्टूबर को सुबह 06 बजकर 41 मिनट पर होगा। सनातन धर्म में सूर्योदय से तिथि की गणना की जाती है। अतः 13 अक्टूबर को पापांकुशा एकादशी मनाई जाएगी। वहीं, वैष्णव समाज के अनुयायी 14 अक्टूबर को पापांकुशा एकादशी मनाएंगे। सामान्य जन पारण 14 अक्टूबर को दोपहर 01 बजकर 16 मिनट से 03 बजकर 34 मिनट के मध्य कर सकते हैं।

पापांकुशा एकादशी शुभ योग (Papankusha Ekadashi Shubh Yog)

ज्योतिषियों की मानें तो आश्विन माह में शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि पर रवि योग का निर्माण हो रहा है। इस योग का समापन 14 अक्टूबर को देर रात 02 बजकर 51 मिनट पर होगा। वहीं, पापांकुशा एकादशी पर धनिष्ठा नक्षत्र का संयोग बन रहा है। धनिष्ठा नक्षत्र का संयोग 14 अक्टूबर को देर रात 02 बजकर 51 मिनट तक है। इसके साथ ही गर एवं वणिज करण योग बन रहे हैं। इन योग में जगत के पालनहार भगवान विष्णु संग मां लक्ष्मी की पूजा करने से साधक को सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होगी।

पंचांग

सूर्योदय - सुबह 06 बजकर 21 मिनट पर

सूर्यास्त - शाम 05 बजकर 53 मिनट पर

चंद्रोदय- दोपहर 03 बजकर 20 मिनट पर

चंद्रास्त- देर रात 02 बजकर 33 मिनट पर ( 14 अक्टूबर)

ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 04 बजकर 41 मिनट से 05 बजकर 31 मिनट तक

विजय मुहूर्त - दोपहर 02 बजकर 02 मिनट से 02 बजकर 49 मिनट तक

गोधूलि मुहूर्त - शाम 05 बजकर 53 मिनट से 06 बजकर 18 मिनट तक

निशिता मुहूर्त - रात्रि 11 बजकर 42 मिनट से 12 बजकर 32 मिनट तक

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।