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Pradosh Vrat 2024: कब है आश्विन माह का पहला प्रदोष व्रत? नोट करें शुभ मुहूर्त एवं योग

शिव पुराण में वर्णित है कि प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat 2024) करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होती है। साथ ही जाने-अनजाने में किए गए पापों से मुक्ति मिलती है। इस व्रत का फल साधक को दिन अनुसार प्राप्त होता है। इस शुभ अवसर पर साधक भक्ति भाव से भगवान शिव और जगत जननी मां पार्वती की पूजा करते हैं।

By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Thu, 12 Sep 2024 05:52 PM (IST)
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Pradosh Vrat 2024: प्रदोष व्रत का धार्मिक महत्व

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Pradosh Vrat 2024: प्रत्येक माह के कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष व्रत मनाया जाता है। इस दिन भगवान शिव संग मां पार्वती की पूजा की जाती है। साथ ही शिव-शक्ति के निमित्त प्रदोष व्रत रखा जाता है। इस व्रत के पुण्य-प्रताप से साधक को सभी प्रकार के सांसारिक सुखों की प्राप्ति होती है। साथ ही जीवन में व्याप्त सभी प्रकार के दुख एवं संकट दूर हो जाते हैं। इस शुभ तिथि पर साधक भक्ति भाव से देवों के देव महादेव और मां पार्वती की पूजा करते हैं। आइए, आश्विन माह के पहले प्रदोष व्रत की तिथि एवं शुभ मुहूर्त जानते हैं-

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प्रदोष व्रत शुभ मुहूर्त (Pradosh Vrat Shubh Muhurat)

पंचांग के अनुसार, आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 29 सितंबर को शाम 04 बजकर 47 मिनट से शुरू होगी और अगले यानी 30 सितंबर को शाम 07 बजकर 06 मिनट पर समाप्त होगी। त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष काल में भगवान शिव की पूजा की जाती है। अतः 29 सितंबर को प्रदोष व्रत मनाया जाएगा। इस दिन प्रदोष काल यानी पूजा का समय संध्याकाल 06 बजकर 09 मिनट से लेकर रात 08 बजकर 34 मिनट तक है। इस दौरान साधक भगवान शिव की पूजा-उपासना कर सकते हैं।

शुभ योग (Pradosh Vrat Shubh Yog)

ज्योतिषियों की मानें तो आश्विन माह के पहले प्रदोष व्रत पर साध्य योग का निर्माण हो रहा है। इस योग का समापन देर रात 12 बजकर 28 मिनट पर होगा। आश्विन माह के पहले प्रदोष व्रत पर शाम 04 बजकर 47 मिनट तक शिववास योग का संयोग बन रहा है। तैतिल और गर करण का भी शुभ संयोग बन रहा है। इन योग में भगवान शिव की पूजा करने से साधक को हर कार्य में सफलता मिलती है।

पंचांग

सूर्योदय - सुबह 06 बजकर 13 मिनट पर

सूर्यास्त - शाम 06 बजकर 09 मिनट पर

चन्द्रोदय- सुबह 03 बजकर 55 मिनट पर (30 सितंबर)

चंद्रास्त- शाम 04 बजकर 33 मिनट पर

ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 04 बजकर 37 मिनट से 05 बजकर 25 मिनट तक

विजय मुहूर्त - दोपहर 02 बजकर 10 मिनट से 02 बजकर 58 मिनट तक

गोधूलि मुहूर्त - शाम 06 बजकर 09 मिनट से 06 बजकर 33 मिनट तक

निशिता मुहूर्त - रात्रि 11 बजकर 47 मिनट से 12 बजकर 35 मिनट तक

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।