Skanda Sashti 2024: भाद्रपद माह में कब है स्कंद षष्ठी? अभी नोट करें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
सनातन धर्म में स्कंद षष्ठी व्रत का विशेष महत्व है। इस व्रत का पारण अगले दिन शुभ मुहूर्त में करना चाहिए। पारण करने के बाद गरीब लोगों में अन्न धन और वस्त्र का दान करना चाहिए। मान्यता है कि ऐसा करने से साधक को मनचाहा कार्यक्षेत्र प्राप्त होता है और जीवन में सफलता प्राप्त होती है। आइए जानते हैं सितंबर माह की स्कंद षष्ठी से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। स्कंद षष्ठी का पर्व हर महीने की शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है। इस खास अवसर पर देवों के देव महादेव के पुत्र भगवान कार्तिकेय का जन्म हुआ था। इसलिए हर महीने में इस पर्व को मनाया जाता है। स्कंद षष्ठी (Skanda Sashti 2024) के दिन भगवान कार्तिकेय के संग शिव परिवार की पूजा-अर्चना जरूर करनी चाहिए। साथ ही जीवन में खुशियों के आगमन के लिए व्रत करने का विधान है। स्कंद षष्ठी के पर्व को कुमार षष्ठी के नाम से भी जाना जाता है। आइए इस लेख में जानते हैं कि सितंबर के महीने में पड़ने वाली स्कंद षष्ठी की डेट, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में।
स्कंद षष्ठी का शुभ मुहूर्त
भाद्रपद माह की शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि की शुरुआत 08 सितंबर को रात 07 बजकर 58 मिनट पर होगी। वहीं, इस तिथि का समापन 09 सितंबर को रात 09 बजकर 53 मिनट पर होगा। ऐसे में स्कंद षष्ठी का पर्व 09 सितंबर को मनाया जाएगा।
यह भी पढ़ें: September Festival List 2024: सितंबर में है त्योहारों और व्रत की भरमार, एक क्लिक में देखें पूरी लिस्ट
स्कंद षष्ठी पूजा विधि
स्कंद षष्ठी व्रत की पूजा सूर्योदय के समय ही करनी चाहिए। इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठें स्नान कर साफ वस्त्र धारण करें। घर की साफ-सफाई कर मंदिर में गंगाजल का छिड़काव कर शुद्ध करें। अब चौकी पर कपड़ा बिछाकर भगवान कार्तिकेय की प्रतिमा को विराजमान करें। इसके बाद प्रभु का ध्यान करें। भगवान कार्तिकेय को पुष्प, चंदन, धूप समेत आदि चीजें अर्पित करें। दीपक जलाकर आरती करें। भगवान को फल, मिठाई का भोग लगाएं। जीवन में सुख-शांति की प्राप्ति के लिए कामना करें। साथ ही प्रभु के मंत्रों का जप करें। इस दिन श्रद्धा अनुसार गरीब लोगों में विशेष चीजों का दान करना फलदायी साबित होता है।
इन चीजों का न करें सेवन
स्कंद षष्ठी के दिन मांस, मदिरा, लहसुन और प्याज का सेवन नहीं करना चाहिए।व्रत से मिलते हैं ये लाभ
- व्रत के पुण्य-प्रताप से साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
- साधक के जीवन में आने वाले सभी दुख-संकट दूर होते हैं।
- सभी कार्यों में सफलता प्राप्त होती है।
- भगवान कार्तिकेय और महादेव की कृपा से जीवन खुशहाल होता है।