Move to Jagran APP

Mahalaxmi Vrat 2024: कब है अंतिम महालक्ष्मी व्रत? इस विधि से करें उद्यापन, धन संबंधी समस्या होगी दूर

महालक्ष्मी व्रत 16 दिनों तक रखा जाता है। इस अवधि के दौरान रोजाना मां लक्ष्मी की विधिपूर्वक उपासना की जाती है। साथ ही जीवन में सुख-शांति की प्राप्ति के लिए कामना की जाती है। इस व्रत के अंतिम दिन उद्यापन (Mahalaxmi Vrat Udyapan Vidhi) किया जाता है। मान्यता है कि उद्यापन न करने से साधक शुभ फल की प्राप्ति से वंचित रहता है।

By Kaushik Sharma Edited By: Kaushik Sharma Updated: Tue, 24 Sep 2024 09:13 AM (IST)
Hero Image
Mahalaxmi Vrat 2024: विधिपूर्वक करें महालक्ष्मी व्रत का उद्यापन
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Mahalaxmi Vrat 2024: हर साल भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से महालक्ष्मी व्रत का शुभारंभ होता है। वहीं, इसका समापन आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर होता है। इस दौरान मां लक्ष्मी की विशेष पूजा-अर्चना करने का विधान है। साथ ही सुख-समृद्धि में वृद्धि के लिए व्रत किया जाता है। धार्मिक मत है कि ऐसा करने से जातक को धन संबंधी समस्याओं से छुटकारा मिलता है। महालक्ष्मी व्रत (Mahalaxmi Vrat Puja Vidhi) के अंतिम दिन उद्यापन करने का विधान है। आइए जानते हैं महालक्ष्मी व्रत के उद्यापन की सरल विधि के बारे में।

कब है महालक्ष्मी व्रत का उद्यापन?

पंचांग के अनुसार, आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि की शुरुआत 24 सितंबर को शाम 05 बजकर 45 मिनट पर होगी। इस तिथि का समापन अगले दिन यानी 25 सितंबर की शाम को 04 बजकर 44 मिनट पर होगा। महालक्ष्मी व्रत का उद्यापन 24 सितंबर को किया जाएगा।

यह भी पढ़ें: Mahalakshmi Vrat 2024: महालक्ष्मी व्रत के दौरान इन बातों का रखें ध्यान, कृपा बनाए रखेंगी धन की देवी

महालक्ष्मी व्रत उद्यापन विधि (Mahalaxmi Vrat Udyapan Vidhi)

महालक्ष्मी व्रत के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठें और दिन की शुरुआत मां लक्ष्मी के ध्यान से करें। घर की अच्छे से साफ-सफाई करें और स्नान कर साफ वस्त्र धारण करें। चौकी पर मां लक्ष्मी की प्रतिमा को विराजमान करें। साथ ही पूजा स्थल पर सोने-चांदी के सिक्के रखें। महालक्ष्मी व्रत की शुरुआत में 16 गांठों वाला धागा बांधने का विधान है। इस धागे को महालक्ष्मी व्रत के अंतिम दिन पूजा के दौरान अपने हाथ में बांध लें। अब देसी घी के 16 दीपक जलाएं और विधिपूर्वक मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना करें। व्रत के अगले दिन इस धागे को तिजोरी में रखें। मान्यता है कि इससे धन-धान्य कमी नहीं होती।

मां लक्ष्मी को चढ़ाएं ये चीजें

आप पूजा के दौरान के बात का विशेष ध्यान रखें कि जो भी सामग्री आप अर्पित कर रहे हैं, तो वह सोलह की गिनती में होनी चाहिए। जैसे 16 श्रृंगार और 16 लौंग आदि। इसके अलावा आप मां लक्ष्मी को बताशा, मखाना, फूल और चावल भी अर्पित कर सकते हैं। इसके बाद मां लक्ष्मी को खीर, फल और मिठाई समेत आदि चीजों का भोग लगाएं। साथ ही सुख-शांति की प्राप्ति के लिए कामना करें।

मां लक्ष्मी मंत्र

या रक्ता रुधिराम्बरा हरिसखी या श्री मनोल्हादिनी॥

या रत्नाकरमन्थनात्प्रगटिता विष्णोस्वया गेहिनी।

सा मां पातु मनोरमा भगवती लक्ष्मीश्च पद्मावती ॥

यह भी पढ़ें: Mahalaxmi Vrat 2024: कंगाली और धन संकट होगा दूर, महालक्ष्मी व्रत के दौरान करें यह एक कार्य

अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।